क्रॉप श‍िफ्टिंग: यूपी के तीन जिलों के तीन किसानों ने छोड़ा गेहूं-धान का मोह, उठाया केले की खेती का जोखि‍म

क्रॉप श‍िफ्टिंग: यूपी के तीन जिलों के तीन किसानों ने छोड़ा गेहूं-धान का मोह, उठाया केले की खेती का जोखि‍म

जानकारों की राय में जलवायु परिवर्तन की चुनौती को देखते हुए किसानों को अपने इलाके के मौसम में बदलाव के अनुकूल फसलें अपनानी होंगी. इसके लिए 'क्रॉप श‍िफ्टिंग' की चर्चा जोरों पर है. इस क्रम में यूपी के बुंदेलखंड इलाके में बदलते मौसम के लिहाज से अनुकूल फसलों को श‍िफ्ट करने के लिए शुरू किए गए प्रयोगों के परिणाम किसानों की बढ़ी आय के रूप में मिलने लगे हैं.

केले की खेती बुंदेलखंड में बन रही बदलाव की वाहक केले की खेती बुंदेलखंड में बन रही बदलाव की वाहक
न‍िर्मल यादव
  • Jhansi,
  • Feb 27, 2023,
  • Updated Feb 27, 2023, 7:55 AM IST

सरकार के लिए बदलते हालात को स्वीकार कर नई फसलें अपनाने का जोखि‍म उठाने वाले किसानों की दरकार है. इसके मद्देनजर खेती किसानी के मार्फत बुंदेलखंड में किसानों को फसल चक्र में बदलाव के लिए जागरुक किया जा रहा है. हालांकि गेहूं और धान जैसी नगदी फसलों का मोह छोड़ने में किसानों को मुश्क‍िल हो रही है. ऐसे में 'क्रॉप श‍िफ्टिंग' का जोख‍िम लेकर बुंदेलखंड में बदलाव के वाहक बन रहे किसान, इन दिनों झांसी में चल रहे 'एग्रो एक्सपो' में जुटे हैं. चना, मटर, गेहूं और धान जैसी पारंपरकि फसलों की खेती में कम मुनाफे को देखते हुए इन किसानों ने अब बेर से लेकर अंजीर तक, तमाम तरह के फल, फूल और सब्जियों को अपनी आय में कई गुना इजाफा करने का जरिया बना लिया है.

3 जिलों में मिले सिर्फ 3 किसान 

यूपी सरकार के उद्यान विभाग ने अंजीर, केला और ड्रेगन फ्रूट की खेती को बुंदेलखंड में शि‍फ्ट करने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. उद्यान विभाग में झांसी एवं चित्रकूट मंडल के उप निदेशक विनय कुमार यादव ने 'किसान तक' को बताया कि प्रयोग के तौर पर इन फसलों को अपनाने के लिए किसानों को तैयार करना बड़ी चुनौती साबित हो रही है. उन्होंने बताया कि इस चुनौती से पार पाने में बुंदेलखंड के 3 जिलों में 3 किसानों ने 'क्रॉप श‍िफ्टिंग' का जोख‍िम उठाकर केले की खेती को अपनाया है. ललितपुर, झांसी और जालौन जिले के इन 3 किसानों को लगभग 3 साल के प्रयोग का सकारात्मक नतीजा मिलने के बाद अब आसपास के दूसरे किसान भी मुनाफे की इस खेती को अपनाने के लिए आगे आने लगे हैं.

बुंदेलखंड में बदलाव के वा‍हक बने 3 किसान

झांसी स्थ‍ित रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृष‍ि विश्वविद्यालय में इन दिनों किसान मेला चल रहा है. बुंदेलखंड में क्रॉप श‍िफ्टिंग का जोख‍िम उठाने वाले जालौन जिले के केला किसान लक्ष्मीनारायण चतुर्वेदी और ललितपुर के जगदीश यादव भी इस मेले में शामिल हुए. अधि‍कारियों, नेताओं और किसानों के बीच ये किसान चर्चा के केंद्र बने रहे. ललितपुर जिले में तालबेहट के किसान जगदीश यादव ने 'किसान तक' से अपने अनुभव साझा किए.

उन्होंने बताया कि 3 साल पहले उन्होंने मात्र 1 बीघा खेत में केले के 500 पौधे लगाए थे. उन्होंने बताया कि पिछले 3 साल में उनकी उपज बढ़ने के साथ आय भी बढ़ी है. अब इस साल उन्होंने केले का रकबा बढ़ा कर 1 एकड़ कर दिया है.

गैस से नहीं डाल में ही पकता है केला

आमतौर पर बाजार में मिलने वाला केला तमाम तरह की रासायनिक गैसों के संपर्क में लाकर पकाया जाता है. रासायनिक गैसों से पका केला, बाजार में इस कदर हावी हो चुका है कि प्राकृतिक तौर पर पेड़ में ही पके केले का स्वाद अब भुला दिया गया है. मगर, बुंदेलखंड में बहुत सीमित मात्रा में ही सही, लेकिन उरई, झांसी और ललितपुर के बाजार में लोगों को प्राकृतिक तौर पर डाल के पके केले का स्वाद चखने को मिलने लगा है.

यादव ने बताया कि पेड़ में ही पके केले के लिए ललितपुर के बाजार में फल विक्रेता 'बुंदेलखंडी केले' के नाम से बेचते हैं. आकार में सामान्य केले से लगभग आधा और हरे रंग का यह केला देखने में भले ही कच्चा लगे, लेकिन इसकी मिठास का अहसास इसे खाने पर ही होता है.        

होने लगी मांग बुंदेलखंडी केला की

जालौन के केला किसान चतुर्वेंदी ने बताया कि‍ वह मंडी जाने के बजाए उरई के बाजार में सीधे फल विक्रेताओं को अपने खेत का केला बेचते हैं. इसी तरह ललितपुर के बाजार में फल विक्रेताओं को भी जगदीश यादव के केले का इंतजार रहता है. उन्होंने बताया कि इस केले की एक डाल में 25 से 30 किग्रा तक केला मिलता है. बाजार में उन्हें इसकी 35 रुपये तक कीमत मिल जाती है.

उन्होंने खेती में केले से मुनाफे का गणि‍त बताते हुए कहा कि जिस खेत में उन्होंने केला लगाया है, उससे साल भर में उन्हें गेहूं और धान की उपज से बमुश्‍क‍िल 10 हजार रुपये तक की आय होती थी. अब केले से उन्हें इतनी आय 2 से 3 म‍हीने में ही हो जाती है.

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