चंदौली में पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को किया जा रहा जागरूक, सार्वजनिक स्थानों पर लिखे जा रहे स्लोगन

चंदौली में पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को किया जा रहा जागरूक, सार्वजनिक स्थानों पर लिखे जा रहे स्लोगन

चंदौली जिले में तकरीबन एक लाख पंद्रह हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर धान की खेती की गई है. लेकिन धान की कटाई का सीजन आते ही पराली जलाने को लेकर आने वाली समस्या ने जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है.

पराली जलाने से रोकने के लिए लिखे जा रहे स्लोगन                                   सांकेतिक तस्वीरपराली जलाने से रोकने के लिए लिखे जा रहे स्लोगन सांकेतिक तस्वीर
उदय गुप्ता
  • Lucknow,
  • Nov 02, 2023,
  • Updated Nov 02, 2023, 6:08 PM IST

पराली जलाने के मामलों में कमी लाने के लिए राज्य सरकारें और कृषि विभाग लगातार प्रयास कर रहे हैं. क्योंकि पराली जलाने के वायु प्रदूषण में बेतहाशा बढ़ोतरी होती है. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग भी इसे लेकर अलर्ट हो गया है. धान की कटाई का सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में किसान धान की कटाई करने के बाद पराली को नहीं जलाएं इसे लेकर विभाग लगातार प्रयास कर रहा है और किसानों को पराली प्रबंधन करने के लिए जागरूक कर रहा है. इसके लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर कृषि विभाग ने पराली जलाने से होने वाले नुकसान और जागरूकता से संबंधित स्लोगंस की पेंटिंग कराने की शुरुआत की है.. वहीं दूसरी तरफ किसानों के साथ बैठक कर उन्हें जागरूक किया जा रहा है. साथ ही साथ यह भी नसीहत दी जा रही है कि अगर कोई भी किसान पराली को जलाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. 

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले को धान का कटोरा कहा जाता है. क्योंकि यहां पर अच्छे किस्म के धान की भारी मात्रा में पैदावार होती है. इस बार चंदौली जिले में तकरीबन एक लाख पंद्रह हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर धान की खेती की गई है. लेकिन धान की कटाई का सीजन आते ही पराली जलाने को लेकर आने वाली समस्या ने जिला प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल पराली जलाने से एक तरफ जहां वायु प्रदूषण होता है. वहीं दूसरी तरफ इससे जमीन की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित होती है. पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण और अन्य नुकसानों के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी ने भी स्पष्ट गाइड लाइन जारी किया है और किसी भी कीमत पर पराली नहीं जलाने के लिए कहा है. 

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सार्वजनिक स्थानों पर लिखे गए हैं स्लोगंस

इसी क्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में भी पराली प्रबंधन को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. कृषि विभाग के बिल्डिंग सहित सार्वजनिक भवनों और निजी भवनों,सड़को के फ्लाईओवर आदि पर परली नहीं जलाए जाने और इससे होने वाले नुकसान से संबंधित स्लोगंस लिखवाए गए हैं. इसके साथ ही कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव जाकर किसानों के साथ बैठक कर रहे हैं और उन्हें पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बता रहे हैं. किसानों को पराली प्रबंधन के टिप्स भी बताए जा रहेहैं. जिला प्रशासन द्वारा एक तरफ जहां किसानों को पराली न जलाए जाने को लेकर जागरूक किया जा रहा है. वहीं किसानो को इस बात से आगाह भी किया जा रहा है कि अगर किसी किसान ने पराली जलाई तो उसके खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई भी की जाएगी.

किसानों के साथ की जा रही है मीटिंग

चंदौली के जिलाधिकारी निखिल टी. फुंडे ने कहा कि पराली जलाने की घटना पूरे देश के लिए एक चिंता का विषय है. केंद्र और राज्य सरकार ने इसके प्रबंधन का निर्देश प्राप्त हुआ है. सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी भी इसकी मॉनीटरिंग कर रहें है. उन्होंने बताया की पराली जलाने की घटना को रोकी जा सके इसके लिए प्रशासन ने भी पूरी तैयारी कर ली है. किसानों के साथ कई दौर की मीटिंग की गई है. इसके साथ ही उन लोगों के साथ भी मीटिंग की गई है जिनकी पराली जलाने की घटना को रोकने की ड्यूटी लगाई गई है. प्रतिदिन इसकी राज्य सरकार को इसकी रिपोर्ट भेजी जाती है. 

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पराली से बनाई जाती है बिजली

सैटेलाइट इमेजिंग के जरिए पराली जलने घटनाओं की मॉनिटरिंग की जा रही है.अगर कोई मामला पकड में आ रहा है तो उस पर कार्रवाई की जा रही है. किसानों के साथ बैठक की जा रही है उन्हें पराली प्रबंधन के बारे में जागरूक किया जा रहा है. किसानों को पराली नहीं जलाने के विकल्प बताए जा रहे हैं. जिला अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार की तरफ से उन्हें बॉयो-डिकंपोजर दिया गया है. जिसे धान की कटाई के बाद पराली पर छिड़काव किया जाता है. फिर इन्हें  जमा करके गाजीपुर स्थित एक प्लांट में भेजा जाएगा, जहांपर पराली  से बिजली बनाई जाती है. 
 

 

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