यूपी में उद्यान विभाग किसानों को Climate Change की चुनौतियों के मद्देनजर गेहूं और धान जैसी अधिक लागत वाली पारंपरिक फसलें उपजाने के बजाय बागवानी फसलों की ओर से प्रोत्साहित कर रहा है. इसके तहत राज्य के विभिन्न इलाकों की जलवायु के अनुकूल बागवानी फसलों की उन्नत खेती करने के संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं. नतीजतन आम और सब्जियों की खेती के लिए मशहूर लखनऊ एवं पूर्वांचल क्षेत्र से गर्मियों में आम तथा मिर्च का निर्यात किया गया था. अब इसका दायरा बढ़कर अमरूद तक पहुंच गया है. अमरूद की खेती के लिए मशहूर प्रयागराज और कौशांबी में उपजाए गए अमरूद का स्वाद अब ओमान वाले लेंगे. पिछले एक साल के अनुभव से पता चला है कि यूपी में उपजाए जा रहे फलों की विश्व बाजार में मांग सब्जियों की तुलना में ज्यादा है.
यूपी के बागवानी किसानों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के अनुकूल फसलें उगाने के क्रम में बागवानी फसलों पर जोर देने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके फलस्वरूप अमरूद के लिए पहले से ही मशहूर कौशांबी, आम के लिए प्रसिद्ध मलीहाबाद के अलावा बुंदेलखंड में खट्टे फल और सब्जियों की खेती के लिए किसानों को आधुनिक सुविधाएं दी जा रही हैं. इनका लाभ उठाकर इन इलाकों के किसानों ने World class Products को उपजा कर वैश्विक बाजार में अपनी पहुंच बनाना शुरू कर दिया है.
उद्यान विभाग की ओर से फल और सब्जियों का निर्यात बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत पिछले साल यूपी सरकार ने खाड़ी देशों के अग्रणी समूह लूलू ग्रुप के साथ यूपी के किसानों द्वारा उपजाई जा रही सब्जियां खरीदने का करार किया था. विभाग के सूत्रों के मुताबिक विदेशों से सब्जियों की तुलना में फलों की ज्यादा डिमांड मिल रही है. इसमें आम और अमरूद सबसे ऊपर हैं. हालांकि विभाग के स्तर पर सब्जी के किसानों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उपज लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे विश्व बाजार में यूपी की सब्जियों की मांग को भी बढ़ाया जा सके.
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लखनऊ के चौधरी चरण सिंह अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से सेबिया एवं सफेदा अमरूद की पहली खेप को ओमान रवाना करने के बाद सिंह ने कहा कि कृषि उपज को विदेशी बाजार में भेजने से किसानों को सीधा लाभ होता है. उन्होंने कहा कि Domestic Market में किसी उपज की जो कीमत किसानों को मिलती है, International Market में उसी उपज की 10 गुना ज्यादा तक कीमत मिल जाती है.
सिंह ने आम का उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में लखनऊ के आम को रूस के मास्को भेजा गया था. यह वही आम था जिसकी लखनऊ में कीमत 80 रूपए प्रति किग्रा मिलती है, वहीं रूस भेजने पर किसानों को इसकी कीमत 800 रुपए प्रति किग्रा मिली. उन्होंने कहा कि इससे यूपी के किसानों की पहुंच वैश्विक बाजार में बढ़ने से इसका दायरा भी समय से साथ बढ़ता जाता है. यह Farmers Income को बढ़ाने के लिए किए गए उपायों में से सबसे कारगर तरीका साबित हो रहा है.
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गौरतलब है कि अपनी रंगत और स्वाद के लिए सफेदा एवं सेबिया अमरूद पूरी दुनिया में मशहूर है. यह गंगा यमुना के बीच प्रयागराज और कौशाम्बी की उपजाऊ जमीन में मौसम की खास परिस्थितयों में होता है. हालांकि इन दोनों किस्मों के अमरूद दुनिया के अन्य इलाकों में भी उपजाए जाते हैं, लेकिन गंगा यमुना के दोआबा क्षेत्र में उपजे अमरूद की बात ही निराली है.
सिंह ने कहा कि इन दोनों किस्मों के अमरूद की ओमान में बहुत अधिक मांग है. इनकी पहली खेप में 06 कुंतल अमरूद भेजा गया है. किसानों को इसके एवज में स्थानीय बाजार से बेहतर मूल्य मिल रहा है. उन्होंने बताया कि निर्यात करने वाली कंपनी ने इस अमरूद को खेत से ही सीधे किसानों से खरीदा है. इसलिए किसानों को मंडी जाने की जरूरत ही नहीं पड़ी.