योगी सरकार की One District One Product योजना के सहारे खानपान से लेकर कृषि उपज और हस्तकला तक, तमाम भूले बिसरे हुनरमंद हाथों को नई पहचान मिली है. इस योजना के तहत बुंदेलखंड जैसे पिछड़े इलाके में ग्रामीणों द्वारा पुराने कपड़ों से Teddy Bear जैसे सॉफ्ट टॉय बनाने का काम लंबे समय से हो रहा था. इस काम को ओडीओपी योजना ने वैश्विक मंच मुहैया कराते हुए इसे बनाने वाले गरीब कारीगरों को बाजार की व्यापक सुविधा मुहैया करा दी. इसी तर्ज पर योगी सरकार ने यहां उपजाई जा रही मूंगफली को भी मजबूत सहारा देने की पहल की है. इसके तहत योगी सरकार झांसी को मूंगफली को क्लस्टर के रूप में विकसित करेगी. इसके फलस्वरूप झांसी की मूंगफली अपने स्वाद का परचम लहराएगी, साथ ही विदेशी मुद्रा भी लाकर किसानों की आय बढ़ाने में मददगार बनेगी. गौरतलब है कि मूंगफली की खेती के लिए मुफीद माने गए झांसी जिले में योगी सरकार की कोशिशों से पिछले कुछ सालों में मूंगफली की उपज और रकबा भी बढ़ा है.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से बताया गया कि झांसी के किसानों द्वारा उपजाई गई मूंगफली को दुनिया के बाजार में पहुंचाने का फैसला किया गया है. इस काम में विश्व बैंक मददगार बनेगा.
ये भी पढ़ें, Millets Farming : ये है 'काकुन' की कहानी, एक किसान की जुबानी
सरकार की ओर से बताया गया कि मूंगफली के बहुपयोगी स्वरूप को देखते हुए पिछले एक दशक में झांसी सहित अन्य जिलों में किसानों ने मूंगफली की खेती में खूब रुचि दिखाई. इसका असर न केवल उपज पर पड़ा बल्कि मूंगफली के रकबे में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. नतीजतन, पिछले एक दशक में राज्य के किसानों ने मूंगफली का रकबा 2 से बढ़ाकर 4.7 प्रतिशत करने में पूरा सहयोग किया. अब यूपी एग्री स्कीम के जरिए योगी सरकार बुंदेलखंड के किसानों को इस स्थिति का अधिकतम लाभ उठाने में मदद करेगी.
सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2013 से 2016 तक मूंगफली की प्रति हेक्टेयर उपज 1542 किग्रा थी. इस अवधि में यूपी की उपज मात्र 809 किग्रा प्रति हेक्टेयर थी. उस दौरान देश के कुल 4.93 मिलियन हेक्टेयर रकबे पर मूंगफली की खेती होती थी. तब इस रकबे में यूपी का योगदान सिर्फ 2 फीसद था.
सरकार का दावा है कि करीब एक दशक में मूंगफली की खेती को लेकर हालात तेजी से बदले हैं. इस दौरान यूपी में मूंगफली का रकबा ढाई गुना तक बढ़कर करीब 4.7 फीसद हो गया है. वहीं देश में मूंगफली की प्रति हेक्टेयर उपज 1542 किग्रा से बढ़कर 1688 किग्रा प्रति हेक्टेयर हो गई है.
गौरतलब है कि देश में मूंगफली का सर्वाधिक उत्पादन गुजरात में होता है. यहां करीब 20 लाख हेक्टेयर में मूंगफली उपजाई जाती है. यह देश के कुल उत्पादन का 47 फीसद है. इसके बाद मूंगफली के उत्पादन में राजस्थान और तमिलनाडु का नंबर आता है. मूंगफली उत्पादन में इन राज्यों की हिस्सेदारी क्रमशः 16 और 10 फीसद है.
बीते एक दशक में बुंदेलखंड के किसानों में भी मूंगफली की खेती के प्रति रुझान बढ़ा है. इसके बहुउपयोगी स्वरूप को देखते हुए स्थानीय बाजार के अलावा इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, फिलीपींस आदि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में मूंगफली की मांग में भी लगातार इजाफा हो रहा है.
इसके मद्देनजर यूपी सरकार विश्व बैंक की मदद से यूपी एग्री स्कीम के तहत झांसी को मूंगफली के क्लस्टर के रूप में विकसित करेगी. सरकार का मानना है कि इससे बुंदेलखंड में Farmers Income बढ़ाने का नया अवसर मिलेगा. मूंगफली के बहुउपयोगी होने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि इसके दाने के साथ इसका छिलका भी किसानों को अच्छी कीमत दिलाता है.
दरअसल इसके छिलके का उपयोग ईंधन और पशु आहार के रूप होता है. सरकार का अनुमान है कि किसानों को मूंगफली के साथ उसके छिलके के भी 5 रुपये प्रति किग्रा तक दाम मिल सकेंगे.
ये भी पढ़ें, Revenue Matters : यूपी में जमीन की पैमाइश से लेकर नामांतरण जैसे काम अब होंगे मिशन मोड में
औषधीय गुणों से भरपूर मूंगफली में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स की प्रचुर मात्रा पाई जाती है. यह हृदय रोगों, पाचन तंत्र और वजन प्रबंधन में मददगार साबित होती है.
मूंगफली का तेल भी बहुत गुणकारी है. इसका उपयोग खाना पकाने और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है. मूंगफली के तेल में Antioxidants और Vitamin E होता है. इसलिए यह त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है.
इतना ही नहीं, प्रोटीन और ऊर्जा का बेहतर स्रोत होने की वजह से मूंगफली का उपयोग पशु आहार में भी किया जाता है. कच्ची मूंगफली को उबालकर भी खाया जाता है. सुखाकर भुनी मूंगफली खाना तो खूब प्रचलित है ही, साथ में इससे Peanut Cheese and Butter भी बनता है. करी, चटनी, सलाद और स्नैक्स के रूप में भी मूंगफली का उपयोग होता है.