उत्तर प्रदेश में देश का 35 फ़ीसदी आलू पैदा किया जाता है. वही आलू की खुदाई का काम इन दिनों सभी आलू उत्पादक जिलों में तेजी से चल रहा है जिसके चलते आलू के दाम भी काफी नीचे आ गए हैं. लखनऊ की दुबग्गा मंडी में नया आलू ₹6 प्रति किलो बिक रहा है तो वही पुराना चिप्सोना आलू अभी भी ₹23 प्रति किलो बिक रहा है. नए और पुराने आलू के बीच में 4 गुने का अंतर है फिर भी बिक्री में कमी नहीं है. मंडी में पुराने आलू की मांग भी इन दिनों काफी तेज है. होटल और शादियों में पुरानी आलू खपत ज्यादा होती है क्योंकि फिंगर चिप्स बनाना हो या टिक्की दोनों ही पुराने आलू की ही बनाई जाती है. इसी वजह से 4 गुने दाम पर भी पुराने आलू के खरीदार मौजूद है.
आलू के चिप्सोना वैरायटी को ज्यादातर लोग शुगर फ्री मानते हैं. वहीं दुकानदारों के द्वारा भी शुगर फ्री आलू के नाम से इसे महंगे दामों में बेचा जाता है. लखनऊ की दुबग्गा सब्जी मंडी में पुराना आलू की मांग अभी कम नहीं हुई है. नया आलू जहां ₹6 किलो बिक रहा है तो पुराना आलू 4 गुने महंगे दाम पर ₹23 प्रति किलो के भाव से खूब बिक रहा है. आलू बेचने वाले व्यापारी ने बताया कि चिप्सोना आलू को ज्यादातर लोग शुगर फ्री आलू के नाम से भी खरीदकर प्रयोग करते हैं. वही होटलों के साथ- साथ शादी ब्याह में भी पुराने आलू की ही मांग ज्यादा होती है.
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देश में 90% आलू की फसल उत्तर भारत के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में होती है. आलू का भंडारण सामान्यता 2 से 4 डिग्री सेल्सियस पर होता है क्योंकि इस तापमान पर आलू में अंकुरण नहीं होता है. भंडारण के दौरान ही आलू में कार्बोहाइड्रेट से स्टार्च में तब्दील होने की प्रक्रिया शुरू होती है जिस वजह से आलू में मीठापन आ जाता है. इससे शुगर का लेवल लो होता है लेकिन बाजारों में यह आलू लो शुगर के नाम से बेचा जाता है. कोल्ड स्टोरेज में आलू पर सीआईपीसी दवा का छिड़काव किया जाता है जिसके चलते आलू में कार्बोहाइड्रेट से स्टार्च में तब्दील होने की प्रक्रिया को रोक देता है. हकीकत में शुगर के मरीजों को कहीं से भी यह आलू फायदा नहीं पहुंचाता है. वहीं दुकानदारों के द्वारा चिप्सोना आलू को शुगर-फ्री कहकर 4 से ₹5 अधिक कीमत पर बेचा जाता है.