ICAR में बनेगी गन्ना रिसर्च टीम, वैरायटी, लागत और भुगतान पर होगा फोकस

ICAR में बनेगी गन्ना रिसर्च टीम, वैरायटी, लागत और भुगतान पर होगा फोकस

गन्ना उगाने वाले किसानों की चुनौतियों को देखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने गन्ना रिसर्च के लिए आईसीएआर में अलग टीम बनाने की घोषणा की, इंटरक्रॉपिंग, ड्रिप सिंचाई और वैल्यू चेन पर भी दिए निर्देश.

shivraj singh chouhanshivraj singh chouhan
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Sep 30, 2025,
  • Updated Sep 30, 2025, 6:33 PM IST

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के पूसा परिसर में आयोजित "गन्ना अर्थव्यवस्था पर राष्ट्रीय परामर्श सत्र" को भोपाल से वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया. अपने मुख्य अतिथि संबोधन में उन्होंने गन्ना किसानों से जुड़ी कई महत्वपूर्ण समस्याओं को उठाया और इनका समाधान खोजने की दिशा में कई घोषणाएं कीं.

सबसे अहम घोषणा यह रही कि ICAR में गन्ना रिसर्च के लिए अलग टीम बनाई जाएगी, जो नीतिगत और तकनीकी पहलुओं पर काम करेगी. शिवराज सिंह ने स्पष्ट किया कि यह टीम यह तय करेगी कि गन्ने की कौन सी वैरायटी कितने साल तक चल सकती है, और कैसे रोगों से बचाव के साथ नई वैरायटी विकसित की जाए.

रेड रॉट रोग और वैरायटी का संकट

मंत्री ने कहा कि 238 गन्ना वैरायटी में चीनी की मात्रा बेहतर पाई गई है, लेकिन रेड रॉट (लाल सड़न) एक बड़ी चुनौती बन रही है. उन्होंने चेताया कि मोनोक्रॉपिंग (एक ही फसल की बार-बार खेती) पोषण संतुलन और रोगों की दृष्टि से खतरनाक है. इसके विकल्प के रूप में उन्होंने इंटरक्रॉपिंग (अंतरवर्ती खेती) को व्यावहारिकता के लिहाज से जांचने की बात कही.

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, गन्ने की 238 वैरायटी में चीनी की मात्रा अच्छी निकली है, लेकिन इसमें रेड रॉट की समस्या आ रही है. हमें सोचना पड़ेगा कि एक वैरायटी कितने साल चलेगी. हमें साथ-साथ दूसरी वैरायटी पर भी काम करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण सवाल है रोगों का मुकाबला करना, नई वैरायटी आती है तो रोग भी आते हैं. मोनोक्रॉपिंग अनेक रोगों को निमंत्रण देती है. इससे नाइट्रोजन फिक्सेशन की समस्या भी उपजती है. एक फसल पोषक तत्वों को कम कर देती है. यह देखा जाना चाहिए कि मोनोक्रॉपिंग की जगह इंटरक्रॉपिंग कितनी व्यावहारिक है.

लागत घटाना, उत्पादन बढ़ाना, पानी बचाना

शिवराज सिंह ने कृषि मैकेनाइजेशन की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि कम लागत में अधिक उत्पादन पाने के लिए आधुनिक मशीनों का उपयोग जरूरी है. उन्होंने “Per Drop - More Crop” की सोच को अपनाने की सलाह दी और कहा कि ड्रिप सिंचाई जैसी तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता की जरूरत है.

इथेनॉल, बायोप्रोडक्ट और वैल्यू चेन की जरूरत

कृषि मंत्री ने कहा कि गन्ना केवल चीनी तक सीमित नहीं है. एथेनॉल और मोलासेस जैसे बायोप्रोडक्ट्स से किसानों की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए, इस पर रिसर्च जरूरी है. उन्होंने प्राकृतिक खेती को भी रासायनिक खाद की समस्या का समाधान मानते हुए उस दिशा में प्रयास करने की बात कही.

भुगतान में देरी और ट्रेनिंग की जरूरत

मंत्री ने गन्ना किसानों के लिए भुगतान में देरी की समस्या को भी गंभीर बताया और कहा कि वैल्यू चेन सुधारने की जरूरत है. उन्होंने ट्रेनिंग और कैपेसिटी बिल्डिंग पर ध्यान देने की अपील की ताकि किसान और भी आत्मनिर्भर बन सकें.

खबर की खास बातें

  • गन्ने की नई रिसर्च टीम बनाएगा ICAR
  • रेड रॉट और वैरायटी की उम्र बनी चिंता
  • मोनोक्रॉपिंग छोड़ इंटरक्रॉपिंग पर होगा जोर
  • ड्रिप सिंचाई के लिए किसानों को मदद जरूरी
  • एथेनॉल और बायोप्रोडक्ट से आमदनी बढ़ाने की योजना
  • किसानों को भुगतान में देरी बड़ी समस्या
  • चीनी मिलों और किसानों के बीच समन्वय बढ़ाने पर बल

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