देश में चावल की खपत को देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां धान की खेती का रकबा कितना होगा. खरीफ के मौसम में ज़्यादातर किसान धान की खेती करते हैं. सितंबर में धान की कटाई शुरू हो जाती है, जिसके बाद किसान अक्सर खेत खाली छोड़ देते हैं या आलू की फसल उगाते हैं. लेकिन अब किसानों के लिए यह एक अच्छा मौका है कि वे धान की कटाई के बाद सरसों की फसल उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकें. सरसों एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जिसकी मांग हमेशा रहती है. आज हम भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा विकसित पूसा सरसों 32 किस्म के बारे में बात करेंगे, जो किसानों को कम समय में अच्छा उत्पादन देती है.
पूसा सरसों 32 की किस्म एक उन्नत और रोग-प्रतिरोधी किस्म है, जिसे विशेष रूप से तेज पकने और अधिक उत्पादन के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म की बुवाई सितंबर के अंतिम सप्ताह से लेकर 15 अक्टूबर तक की जा सकती है. यह किस्म राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में सफलतापूर्वक उगाई जा सकती है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि धान की कटाई के बाद खेत खाली छोड़ने की बजाय अच्छी जुताई के बाद इस किस्म की बुवाई करना किसानों के लिए मुनाफे का बेहतर जरिया है.
पूसा सरसों 32 की सबसे बड़ी खासियत है इसका जल्दी पकना. यह किस्म 132 से 145 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है, जो अन्य किस्मों की तुलना में कम समय में फसल तैयार कर देती है. इसके पौधे लगभग 73 सेंटीमीटर लंबे होते हैं और फली का घनत्व भी बहुत अच्छा होता है.
इस किस्म से एक हेक्टेयर में औसतन 27 से 28 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है, जो कि एक किसान के लिए बहुत लाभकारी है. यदि सही तरीके से देखभाल की जाए तो उत्पादन को और बढ़ाया भी जा सकता है.
पूसा सरसों 32 किस्म किसानों के लिए एक वरदान साबित हो रही है. इसकी तेज पकने वाली प्रकृति, रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उत्पादन के कारण यह किस्म किसानों को बेहतर आर्थिक लाभ देती है. शाहजहांपुर समेत अन्य उत्तर भारत के क्षेत्रों में धान कटाई के बाद खेत खाली छोड़ने की बजाय पूसा सरसों 32 की बुवाई कर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं. कम निवेश में अच्छी पैदावार मिलने से यह किस्म किसानों के लिए सबसे बेहतर विकल्प बन चुकी है. इसलिए, इस साल सितंबर-अक्टूबर में अपने खेतों में पूसा सरसों 32 की बुवाई जरूर करें और कम समय में अच्छी आमदनी का लाभ उठाएं.
ये भी पढ़ें:
Punjab Flood: पंजाब में किसानों की मशीन भी हो गई बाढ़ की वजह से खराब, ठीक कराने में होंगे लाखों खर्च
5 रुपये प्रति लीटर की दर से गोमूत्र खरीद रही ये डेयरी, जानिए कैसे खड़ी हो रही करोड़ों की नई ग्रामीण अर्थव्यवस्था