हाल ही में पंजाब के कई जिलों में आई बाढ़ ने किसानों को गहरी संकट की स्थिति में डाल दिया है. सिर्फ फसलों को ही नहीं बल्कि किसानों की मशीनरी और उपकरणों को भी भारी नुकसान हुआ है. ट्रैक्टर, हल, रोपण और सिंचाई जैसी जरूरी कृषि मशीनें पानी में डूब गईं या खराब हो गईं. इससे खेतों में कामकाज पूरी तरह रुक गया. सरकार ने करीब दो लाख हेक्टेयर यानी करीब पांच लाख एकड़ फसलों को हुए नुकसान को स्वीकार किया है. लेकिन किसानों को हुआ असली आर्थिक नुकसान इससे कहीं अधिक गंभीर माना जा रहा है. इसमें मशीनों और उपकरणों का बिगड़ना भी शामिल है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि किसानों को 5,000 करोड़ से 6,000 करोड़ रुपये या उससे भी ज्यादा का कुल नुकसान हुआ है. इसमें मशीनरी की मरम्मत और बदलने का खर्च भी शामिल है.
फसलों के अलावा, बाढ़ के पानी ने किसान कृषि मशीनरी और उपकरणों को भी भारी नुकसान पहुंचाया. ट्रैक्टर, रोटावेटर, हार्वेस्टर, पंप सेट और बाकी जरूरी कृषि उपकरण हफ्तों तक पानी में डूबे रहे. सैकड़ों मशीनें अब मरम्मत योग्य नहीं हैं, जंग लगने के कारण उन्हें उपयोग नहीं किया जा सकता है. आखिर में ये मशीनें पूरी तरह से कचरे में बदल गई हैं. प्रमुख मशीनों, जैसे ट्रैक्टर और कंबाइन, में औसत नुकसान करीब 5 लाख से 10 लाख रुपये अनुमानित है. प्रभावित गांवों के किसानों ने बताया कि हजारों मशीनें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. अगर सिर्फ 10,000 मशीनें प्रभावित हुईं और औसत नुकसान 3-4 लाख रुपये प्रति मशीन माना जाए. ऐसे में मशीनरी का कुल नुकसान करीब 300 करोड़ से 400 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है.
भारी रेत और सिल्ट जमा होने के कारण कई खेत अब अयोग्य खेती के लिए बन गए हैं. किसानों को अब यह अवशेष हाथ से या बुलडोजर की मदद से हटाना होगा. खेतों की बहाली का खर्च प्रति एकड़ 8,000 से 12,000 रुपये अनुमानित है. अगर पांच लाख एकड़ पर प्रति एकड़ 10,000 रुपये का रूढ़िवादी अनुमान लगाया जाए, तो केवल खेत बहाली का खर्च लगभग 500 करोड़ रुपये होता है. सरकार ने किसानों को अपने खेतों से रेत बेचने की अनुमति दी, जिससे कुछ राहत मिली. हालांकि, यह केवल हटाने के खर्च को ही कवर करता है और कुल कृषि व्यवधान की भरपाई में बहुत कम योगदान देता है.
पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपये की मुआवजा राशि की घोषणा की है जो कुल मिलाकर करीब 1,000 करोड़ रुपये होती है. इसके अलावा, राज्य ने केंद्र से अनुरोध किया है कि यह राशि कम से कम 50,000 रुपये प्रति एकड़ तक बढ़ाई जाए. वहीं दूसरी ओर बाढ़ प्रभावित पांच लाख एकड़ के लिए रबी सीजन की तैयारी के तहत मुफ्त गेहूं के बीज वितरण की भी घोषणा की गई है.
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