Garlic Price: क्यों बढ़ गया लहसुन का दाम, क्या कम हो गया है उत्पादन 

Garlic Price: क्यों बढ़ गया लहसुन का दाम, क्या कम हो गया है उत्पादन 

साल 2022 में म‍िले कम दाम से न‍िराश क‍िसानों ने लहसुन की खेती का रकबा घटा द‍िया था. ऐसे में इस साल उत्पादन काफी ग‍िर गया है. इसका असर मंड‍ियों में आवक पर पड़ रहा है. लेक‍िन, उपभोक्ता ज‍िस दाम पर लहसुन खरीद रहे हैं उसके मुकाबले आधा पैसा ही क‍िसानों की जेब में पहुंच रहा है. 

आख‍िर क्यों बढ़ा लहसुन का दाम (Photo-Kisan Tak).  आख‍िर क्यों बढ़ा लहसुन का दाम (Photo-Kisan Tak).
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jul 10, 2023,
  • Updated Jul 10, 2023, 5:13 PM IST

सब्ज‍ियों के साथ-साथ मसाला फसलों का दाम भी बढ़ रहा है. जीरा और काली म‍िर्च के बाद अब जनता को लहसुन की महंगाई सता रही है. इस साल लहसुन का दाम 250 रुपये प्रत‍ि क‍िलो के पार हो चुका है. अभी दाम और बढ़ने का अनुमान है. जबक‍ि प‍िछले साल जुलाई में क‍िसान स‍िर्फ 5 से 8 रुपये प्रत‍ि क‍िलो के दाम पर इसे बेचने के ल‍िए मजबूर थे. कृष‍ि क्षेत्र के जानकारों का कहना है क‍ि 2022 में क‍िसानों को म‍िले कम दाम ने इस वर्ष इसका भाव बढ़ा द‍िया है. तब क‍िसानों को लहसुन का अच्छा दाम म‍िला होता तो इस साल जनता को इसकी महंगाई नहीं झेलनी पड़ती. पहले क‍िसानों को झटका लगा और अब उपभोक्ता रो रहे हैं. दाम कम म‍िलने की वजह से परेशान क‍िसानों ने इसकी खेती कम कर दी. ज‍िससे उत्पादन कम हुआ और फ‍िर इसका दाम आसमान पर पहुंच गया. 

राजस्थान के बारां ज‍िला न‍िवासी क‍िसान सत्यनारायण स‍िंह ने प‍िछले साल 5 बीघे में लहसुन की खेती की थी. 'क‍िसान तक' से बातचीत में स‍िंह ने बताया क‍ि उन्हें बाजार में औसतन 3 रुपये प्रत‍ि क‍िलो का भाव म‍िला था. जो बहुत अच्छी क्वाल‍िटी का लहसुन था उसका दाम 4-5 रुपये प्रत‍ि क‍िलो म‍िला, लेक‍िन जो खराब गुणवत्ता का था उसे एक रुपये प्रत‍ि क‍िलो का भाव म‍िला. इसल‍िए उन्होंने इसकी खेती कम करने का फैसला क‍िया. दाम कम रहने की वजह से प‍िछले साल स‍िर्फ 2 बीघे में बुवाई की. यही हाल अन्य क‍िसानों का भी रहा. इसील‍िए दाम बढ़ गया. 

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व्यापारी कमा रहे हैं मोटा मुनाफा

ऐसा नहीं है क‍ि पूरा दाम क‍िसानों का म‍िल रहा है. रकबा और उत्पादन में कमी का असली फायदा व्यापारी कमा रहे हैं. उपभोक्ता ज‍िस भाव से लहसुन खरीद रहा है उसका कम से कम 50 फीसदी तो व्यापारी ही कमा रहे हैं. क‍िसानों को औसत दर्जे की गुणवत्ता के लहसुन का भाव 6000 से 8000 और अच्छी क्वाल‍िटी का दाम 8000 से 13000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल के ह‍िसाब से म‍िल रहा है. यानी क‍िसानों को 60 से लेकर 130 रुपये प्रत‍ि क‍िलो तक का भाव म‍िल रहा है और व्यपारी उसे र‍िटेल में 200 रुपये क‍िलो के ह‍िसाब से बेच रहे हैं. ब‍िग बॉस्केट पर इसका दाम 251 रुपये प्रत‍ि क‍िलो है. 

सस्ते की चाहत बढ़ाएगी महंगाई 

क‍िसान नेता रामपाल जाट का कहना है क‍ि अगर आप बहुत सस्ती कृष‍ि उपज चाहते हैं तो आपकी इस सोच से महंगाई को दावत म‍िलेगी. क्योंक‍ि जो चीज एक बार बहुत सस्ती म‍िलेगी दूसरे साल क‍िसान उसकी खेती कम कर देंगे, जैसा क‍ि लहसुन के मामले में हो रहा है. यही हाल प्याज को लेकर भी हो सकता है. प्याज की खेती क‍िसान कम कर रहे हैं, क्योंक‍ि दाम नहीं म‍िल रहा है. ऐसे में खेती बहुत कम हो गई तो फ‍िर दाम इतना बढ़ जाएगा क‍ि आम उपभोक्ता की पहुंच से वो चीज बाहर हो जाएगी. इसल‍िए अगर क‍िसानों को सही दाम म‍िलता रहेगा तो उपभोक्ता पर भी अचानक बड़ा भार नहीं पड़ेगा. 

क्यों घटा था दाम 

लहसुन एक मसाला फसल है. ज‍िसका इस्तेमाल अध‍िकांश घरों में होता है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताब‍िक साल 2020-21 में देश में 3,92,000 हेक्टेयर में लहसुन की खेती हुई थी. जबक‍ि यह 2021-22 में बढ़कर 4,31,000 हेक्टेयर हो गई. यानी 39000 हेक्टेयर की वृद्ध‍ि. प्रोडक्शन की बात करें तो साल 2020-21 में 31,90,000 मिट्रिक टन लहसुन पैदा हुआ था. जबक‍ि 2021-22 में 35,23,000 मिट्रिक टन का उत्पादन हुआ है. यानी एक साल में ही उत्पादन 3,33,000 मीट्रिक टन बढ़ गया. इसल‍िए प‍िछले साल लहसुन इतना सस्ता हो गया. 

अब क्यों बढ़ गया है भाव  

साल 2022 में क‍िसानों को लहसुन का अच्छा दाम नहीं म‍िला. जुलाई 2022 में मध्य प्रदेश में स‍िर्फ 5 रुपये क‍िलो के भाव पर लहसुन ब‍िक रहा था. कुछ क‍िसानों ने मजबूरी में एक रुपये प्रत‍ि क‍िलो के ह‍िसाब से भी बेचा. उत्पादन लागत भी नहीं न‍िकली. ऐसे में उन्होंने प‍िछले साल खेती का दायरा बहुत घटा द‍िया. केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक र‍िपोर्ट भी इसकी तस्दीक कर रही है. 

साल 2022-23 में इसका एर‍िया काफी घट गया. एर‍िया घटकर 4,07,000 हेक्टेयर रह गया. यानी 2021-22 के मुकाबले एर‍िया 24000 हेक्टेयर घट गया. जब एर‍िया घटा तो उत्पादन पर भी बुरा असर पड़ा. साल 2021-22 के मुकाबले लहसुन का उत्पादन 1,54,000 मीट्रिक टन घट गया. बुवाई और उत्पादन दोनों में कमी की वजह से मंड‍ियों में आवक बहुत कम हो गई है. इसल‍िए दाम बढ़ रहा है. लेक‍िन क‍िसानों को ज‍ितना पैसा म‍िल रहा है उसके मुकाबले डबल दाम पर उपभोक्ताओं को म‍िल रहा है. 

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