भारत में इस साल मॉनसून की शुरुआत समय से पहले हुई, लेकिन जून के मध्य में यह कमजोर पड़ गया. हालाँकि महीने के अंत में फिर से रफ्तार पकड़ने के बाद देश में औसत से 15% अधिक वर्षा दर्ज की गई है. लेकिन कुछ प्रमुख धान उत्पादक राज्यों जैसे बिहार, आंध्र प्रदेश और असम में अब तक सामान्य से कम वर्षा हुई है.
इन तीनों राज्यों ने पिछले साल खरीफ सीजन में कुल धान उत्पादन में लगभग 15% योगदान दिया था. CareEdge Ratings की रिपोर्ट के अनुसार, इन राज्यों में बारिश की कमी चिंता का विषय बन सकती है.
देश को 36 मौसमी उपखंडों में बांटा गया है. इनमें से:
इसका मतलब है कि देश में मॉनसून का वितरण असमान रहा है. कुछ इलाकों में बहुत ज्यादा बारिश हुई है जबकि कुछ क्षेत्रों में काफी कम.
उत्तर और मध्य भारत में अच्छी बारिश के कारण मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में बुवाई गतिविधियाँ तेजी से हो रही हैं.
हालाँकि कुछ प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में कम बारिश हुई है, लेकिन पूरे देश की बात करें तो बुवाई की गतिविधियाँ बढ़ी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यह संकेत देता है कि इस साल भी कृषि उत्पादन अच्छा रहने की संभावना है.
मॉनसून का आगे का व्यवहार बहुत अहम होगा, खासकर धान की खेती के लिए. अगर बारिश की स्थिति में सुधार होता है तो इससे उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
इसलिए आने वाले हफ्तों में मॉनसून की चाल और क्षेत्रीय वितरण पर नजर बनाए रखना जरूरी है.