बरसात का मौसम शुरू होते ही देश में खरीफ सीजन वाली फसलें उगाई जाने लगती है. खरीफ सीजन के खास फसलों में धान का नाम आता है लेकिन कमाई की बात करें तो धान सीजन की सबसे अधिक कमाई वाली फसल नहीं है. इस सीजन में कई दलहन और तिलहन फसलें भी उगाई जाती हैं, जिनसे किसानों को धान के मुकाबले अधिक लाभ हो सकता है. अगर आप किसान हैं और ऐसी किसी फसल की तलाश में हैं जिससे बेहतर कमाई करना चाहते हैं तो तिल उगा सकते हैं. इस खबर में किसानों को तिल की खेती से जुड़ी तमाम बारीकियां बताने जा रहे हैं.
तिल एक तिलहन फसल है इसकी खेती करने के लिए खास तरीके का पालन करें. इसके लिए खेत की अच्छी तैयारी की जाती है. सबसे पहले खेत की अच्छी जुताई कर मिट्टी को बारीक भुरभुरी कर लीजिए ताकि मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ जाए, फिर पुरानी फसल के अवशेष और अनावश्यक घास-फूस की सफाई कर लीजिए. अब चाहें तो खेत में 5 टन प्रति एकड़ के हिसाब से सड़े गोबर की खाद मिला लें और पाटा चलाकर खेत को समतल कर लीजिए.
तिल की खेती ऐसी जमीन में नहीं की जाती जहां बारिश का पानी जमा हो जाता हो. इसके लिए ऐसी जमीन चुनें जहां पानी रुकता ना हो. खरीफ सीजन में बारिश की कोई कमी नहीं होती फिर भी अगर बुवाई के बाद पानी ना बरसे तो 10 दिन बाद हल्की सिंचाई कर सकते हैं. तिल की फसल में धूप लगना बहुत जरूरी है. अगर दिनभर की हल्की धूप मिलती है तो पौधे अच्छी तरह से बढ़ते हैं. सबसे जरूरी बात है तिल के खेत की निराई करना.
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बारिश होने के चलते अनावश्यक घास उग जाती हैं और तेजी से बढ़ती हैं जिसके कारण तिल के पौधे दब जाते हैं. हर 20-30 दिन में घास या खरपतवारों की निराई करना ना भूलें. कीटनाशकों से सुरक्षा के लिए नीम का स्प्रे करें या फिर एक्सपर्ट्स से पूछ कर पेस्टिसाइड डाल सकते हैं.
किसी भी फसल की कटाई के लिए उसे पूरी तरह से तैयार करना जरूरी होता है. तिल की फसल अलग-अलग तापमान और वातावरण में अलग-अलग समय में तैयार होती है, लेकिन तिल की फसल तैयार होने में औसतन 80-100 दिन का समय लगता है. कुछ ऐसी भी किस्में होती हैं जिन्हें तैयार होने में 120 दिन का भी समय लग सकता है. पहचान करने के लिए देखें कि पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगी हैं या नहीं अगर पड़ गई हैं तो किसी भी पौधे की एक फल्ली तोड़कर देखें अंदर के दाने परिपक्व हो गए हैं या नहीं, अगर हो गए हैं तो कटाई कर सकते हैं.