मराठवाड़ा में अच्‍छे मॉनसून ने भी दिया किसानों को धोखा, 40 फीसदी कम बारिश ने बढ़ाई चिंता

मराठवाड़ा में अच्‍छे मॉनसून ने भी दिया किसानों को धोखा, 40 फीसदी कम बारिश ने बढ़ाई चिंता

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मराठवाड़ा में खरीफ के दौरान सोयाबीन, कपास और अरहर की मुख्य फसलें बोई जाती हैं. छत्रपति संभाजीनगर संभाग में करीब 21.4 लाख हेक्टेयर और लातूर संभाग में 28.3 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर बुवाई होती है. आसमान में बादल छाए रहने के बावजूद, कई इलाकों में केवल छिटपुट बूंदाबांदी हुई है.

Marathwada Farmers Marathwada Farmers
क‍िसान तक
  • Mumbai ,
  • Jul 12, 2025,
  • Updated Jul 12, 2025, 1:49 PM IST

महाराष्‍ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र जो पहले से ही पानी की कमी के चलते एक संवेदनशील क्षेत्र बन चुका है, वहां पर इस साल भी कम बारिश दर्ज की गई है. इसके बाद किसानों की चिंताएं एक बार फिर से दोगुनी हो गई हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार जून में 20 फीसदी कम बारिश के बाद, मराठवाड़ा में जुलाई में अब तक करीब 40 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. यह चिंताजनक रुझान महत्वपूर्ण खरीफ सीजन को प्रभावित कर रहा है. इससे किसान मॉनसून के फिर से सक्रिय होने को लेकर दिन रात चिंता में हैं और जिसके आसार अब कम नजर आ रहे हैं. 

बोई जाती हैं कौन सी फसलें 

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मराठवाड़ा में खरीफ के दौरान सोयाबीन, कपास और अरहर की मुख्य फसलें बोई जाती हैं. छत्रपति संभाजीनगर संभाग में करीब 21.4 लाख हेक्टेयर और लातूर संभाग में 28.3 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर बुवाई होती है. आसमान में बादल छाए रहने के बावजूद, कई इलाकों में केवल छिटपुट बूंदाबांदी हुई है. टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दिनों इस क्षेत्र में औसतन सिर्फ 2 मिमी बारिश हुई. जबकि महाराष्‍ट्र के बाकी हिस्सों में मध्‍यम से भारी बारिश दर्ज की गई है. आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो आठ जिलों वाले मराठवाड़ा में जुलाई में अब तक सिर्फ 32 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो अपेक्षित मात्रा का केवल 60 फीसदी है. 

करनी पड़ेगी दोबारा बुवाई 

कृषि पर इस कम बारिश का महत्वपूर्ण असर देखा जा सकता है. हालांकि इस क्षेत्र में खरीफ की खेती के तहत 49 लाख हेक्टेयर में से 80 फीसदी में बुवाई हो चुकी है. लेकिन पर्याप्त बारिश की कमी गंभीर परिणामों की तरफ इशारा कर रही है. किसान अधिकार कार्यकर्ता जयाजी सूर्यवंशी ने बढ़ती चिंताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पर्याप्त बारिश के बिना बादल छाए रहने से किसान समुदाय के लिए भारी चिंता पैदा हो रही है. उनका कहना है कि कुछ किसानों को खराब मॉनसून के कारण अपनी फसलों की दोबारा बुवाई करनी पड़ सकती है. 

कीटों का खतरा बढ़ा 

सूर्यवंशी ने कहा कि इसके अलावा, लगातार बादल छाए रहने और अपर्याप्त बारिश के कारण खरीफ की फसलें कई कीटों के हमलों के लिए संवेदनशील हो गई हैं. मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आने वाले कुछ दिनों में मराठवाड़ा के कई हिस्सों में छिटपुट जगहों पर हल्की बारिश होने की संभावना है. लेकिन मॉनसून की कमी को पूरा करने के लिए जोरदार बारिश की कोई संभावना नहीं है. इस बीच, ऊपरी इलाकों से लगातार पानी आने के कारण, जयकवाड़ी प्रमुख सिंचाई परियोजना में बुधवार शाम तक जलभराव 66 प्रतिशत तक पहुंच गया है. 

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