पिछले कुछ सप्ताह में देश के कई राज्यों में बेमौसमी बारिश हुई है. वहीं कुछ राज्यों में ओले भी खूब बरसे हैं. इससे रबी सीजन की कई फसलों को नुकसान हुआ है जिसमें गेहूं की खड़ी फसल को काफी नुकसान हुआ है. लेकिन केंद्र सरकार का कहना है कि इसका पिछले साल के उत्पादन की तुलना में विशेष प्रभाव नहीं दिखेगा. इसका मतलब फसल वर्ष 2022-23 में भी गेहूं का उत्पादन शानदार होगा. वहीं, रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) द्वारा शुरू की गई एक निजी फर्म ने अनुमान लगाया है कि पिछले एक महीने में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से 13.5 लाख टन फसल नुकसान हुआ है. इस साल देश में गेहूं उत्पादन 102.89 मिलियन टन होगा, जबकि पिछले साल यह 97.69 मिलियन टन था.
सरकार ने फरवरी में अपना अनुमान जारी किया था, जिसमें पिछले साल 107.74 मिलियन टन के मुकाबले इस साल के लिए रिकॉर्ड 112.18 मिलियन टन का अनुमान लगाया गया था. एक आटा मिलर ने कहा, 'हालांकि सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों इस बात पर सहमत हैं कि उत्पादन पिछले साल की तुलना में 4 से 5 मिलियन टन अधिक है, लेकिन दोनों के बीच उत्पादन अनुमानों में 9 मिलियन टन का व्यापक अंतर है.'
शुक्रवार को दिल्ली में गेहूं की फसल का अनुमान जारी करते हुए, खाद्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि इस साल गेहूं की कम से कम 10 मिलियन टन अधिक उपलब्धता होगी (निर्यात प्रतिबंध से 5 मिलियन टन और उच्च उत्पादन से 5 मिलियन टन). उन्होंने कहा कि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के कारण 1 से 2 मिलियन टन के संभावित उत्पादन नुकसान पर निजी और सरकारी दोनों एजेंसियों की समान राय है.
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सिंह ने कहा, 'यह अच्छा है कि निजी क्षेत्र भी इस तरह के अध्ययन करने के लिए आगे आ रहे हैं और कुछ आंकड़े लेकर आ रहे हैं. उन्होंने अपनी कार्यप्रणाली साझा की और यह भी बताया कि वे उन आंकड़ों तक कैसे पहुंचे. अनुमान सही हैं या नहीं, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा. जो एजेंसियां ये सर्वे कर रही हैं वो भी अपनी कार्यप्रणाली में सुधार करेंगी और सही अनुमान तक पहुंचने की कोशिश करेंगी.
उन्होंने कहा कि चूंकि सरकार विभिन्न नीतिगत फैसले लेती रही है, अगर फसल का वास्तविक अनुमान पता चल जाए तो यह सरकार के लिए बेहतर है. उन्होंने कहा कि इस तरह के अनुमानों से खाद्य मंत्रालय को निर्यात, खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के संबंध में निर्णय लेने में मदद मिलेगी.
बता दें कि घरेलू कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए सरकार ने मई 2022 से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने सरकार से आग्रह किया है कि सरकार की खरीद पूरी होने के बाद गेहूं उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया जाए.
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नलिन रावल, निदेशक (जीआईएस सर्विसेज) ने कहा, एग्रीवॉच, RFMFI द्वारा कमीशन की गई एजेंसी ने शुरू में मार्च में 104.24 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था. लेकिन इसने फसल के नुकसान को ध्यान में रखते हुए अनुमान को घटाकर 102.9 मिलियन टन कर दिया.
भारतीय खाद्य निगम (FCI) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक के मीणा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अब तक लगभग 0.7 मिलियन टन गेहूं की खरीद की गई है, जबकि एक साल पहले की अवधि में 0.2 मिलियन टन से भी कम की खरीद हुई थी. उन्होंने मिल मालिकों से अपील की कि वे सरकार पर निर्भर रहने के बजाय बाजार से गेहूं की खरीद करें. हालांकि, उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि लक्ष्य के अनुसार 34.15 मिलियन टन गेहूं की खरीद की जाती है, तो ओएमएसएस के लिए कुछ उपलब्धता होगी. मीणा ने कहा कि 1 अप्रैल को एफसीआई के पास गेहूं का स्टॉक 84 लाख टन था, जबकि बफर नॉर्म 75 लाख टन था.