
देश में गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी जारी है. इस बीच, दक्षिण भारत में गेहूं की कीमतें 34,000 रुपये प्रति टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने को हैं. यही वजह है कि आटा मिल मालिक इस वित्तीय वर्ष के लिए ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) शुरू करने या कम शुल्क पर गेहूं के आयात को मंजूरी देने की की मांग कर रहे हैं. ‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक उद्योग सूत्र ने बताया कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा या पंजाब में गेहूं नहीं मिल रहा है. अभी सिर्फ केवल उत्तर प्रदेश के पास स्टॉक है, जिस वजह से कीमतें बढ़ गई हैं.
दिल्ली में गेहूं 3,200 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से मिल रहा है. दिल्ली के एक एक्सपोर्टर राजेश पहाड़िया जैन ने कहा, "डिमांड-सप्लाई की हालत बहुत खराब है. गेहूं सिर्फ निजी स्टॉकिस्टों के पास उपलब्ध है." व्यापार जगत में चर्चा है कि सरकार गेंहू का आयात नहीं करने का संकेत दे रही है, क्योंकि अभी तक इस वित्त वर्ष में ओएमएसएस को फिर से शुरू नहीं किया गया है. कृषि मंत्रालय की यूनिट एगमार्केट के आंकड़ों के मुताबिक, एपीएमसी यार्ड में अभी गेहूं का भारित औसत मूल्य 2,811 रुपये प्रति क्विंटल है. इस साल की फसल के लिए तय एमएसपी 2,275 रुपये है.
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वहीं, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने खुदरा गेहूं की कीमतों में 2.2 प्रतिशत और पिछले साल की तुलना में 4.44 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.व्यापारियों ने कहा कि भले ही उत्तर प्रदेश में गेहूं लगभग 2,800 रुपये के भाव से मिल रहा है, लेकिन कोयंबटूर, बेंगलुरु और चेन्नई पहुंचने पर इसकी कीमत 3,400 रुपये तक जा रही है. एक्सपोर्टर राजेश पहाड़िया जैन ने कहा, "सरकार ने रिकॉर्ड 113.29 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो बहुत दूर है और शायद गलत भी है.''
उद्योग सूत्र ने कहा, "सरकार ने जून में त्योहारी सीजन के दौरान ओएमएसएस शुरू करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ. अगर सरकार इसे शुरू नहीं कर रही है तो डिमांड-सप्लाई को सुचारू रखने और स्थिति में सुधार के लिए कम शुल्क पर 3 से 4 मिलियन टन गेहूं के आयात की अनुमति देनी चाहिए." वहीं, एक्सपोर्टर जैन ने कहा कि अगर सरकार 40 प्रतिशत आयात शुल्क और अन्य चार प्रतिशत का शुल्क लगाती है तो आयात की लैंडिंग कीमत 32,000 रुपये प्रति टन हो सकती है, जो घरेलू बाजार में मौजूदा मूल्य स्तरों के समान है.