रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद गेहूं का दाम अभी से रंग दिखाने लगा है. देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक सूबा उत्तर प्रदेश में इसका न्यूनतम भाव भी 2300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. ऐसे में इस साल भी पिछले वर्ष की तरह गेहूं का दाम ऊंचा रहने की उम्मीद जताई जा रही है. प्रदेश की अधिकांश मंडियों में गेहूं का दाम अभी से एमएसपी यानी 2125 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक है. उधर, उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के मुताबिक एक जून को देश में गेहूं का औसत थोक दाम 2586.82 रुपये प्रति क्विंटल तक की ऊंचाई तक पहुंच गया है. जबकि अधिकतम थोक दाम 4500 रुपये प्रति क्विंटल रहा. बाजार के जानकारों का कहना है कि दाम का यह ट्रेंड यही बता रहा है कि इस साल भी गेहूं की खेती करने वाले किसानों की बल्ले-बल्ले हो सकती है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने रबी फसल सीजन 2022-23 में रिकॉर्ड 1127.43 लाख टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 50 लाख टन अधिक है. इतने उत्पादन के बावजूद अभी से दाम रिकॉर्ड बना रहा है. कमोडिटी एक्सपर्ट इंद्रजीत पॉल का कहना है कि अच्छे दाम की ही उम्मीद में किसानों ने इस बार काफी गेहूं अपने पास रोका हुआ है. कुछ किसा एमएसपी से ज्यादा दाम पर अपना गेहूं व्यापारियों को बेच रहे हैं. इसीलिए बफर स्टॉक के लिए गेहूं की सरकारी खरीद पूरी होती नहीं दिख रही है. जिन किसानों के पास क्षमता है वो अपना गेहूं आगे के लिए रोक कर रख सकते हैं.
इसे भी पढ़ें: Mustard Price: बंपर उत्पादन के बाद 'तेल के खेल' में क्यों पिस रहे सरसों की खेती करने वाले किसान?
गेहूं का इतना दाम तो तब है जब सरकार ने इसके एक्सपोर्ट पर 13 मई 2022 से ही रोक लगाई हुई है. यही नहीं इस साल जनवरी में जब गेहूं का दाम 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक चल रहा था तब सरकार ने उपभोक्ताओं की आड़ लेकर ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) लाकर कुछ दिनों तक भाव गिरा दिया था. इस स्कीम के तहत 26 जनवरी से 15 मार्च 2023 के बीच सरकार ने बहुत सस्ते दर पर बड़े मिलर्स और कुछ सरकारी एजेंसियों को 33 लाख टन गेहूं बेचा.
इससे ओपन मार्केट में गेहूं का रेट नीचे आ गया. किसानों को प्रति क्विंटल गेहूं पर कम से कम एक-एक हजार रुपये का नुकसान झेलना पड़ा. लेकिन इस दांव से भी गेहूं की सरकारी खरीद पूरी नहीं हो सकी. इस साल सरकार ने 341.5 लाख मीट्रिक टन का टारगेट रखा था जबकि अब तक सिर्फ 262 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हो सकी है. अब एक बार फिर गेहूं का भाव एमएसपी से ऊपर पहुंच गया है इसलिए सरकारी खरीद बंद सी हो गई है.
मंडी | न्यूनतम | मॉडल प्राइस | अधिकतम | आवक |
लखीमपुर | 2,290 | 2,350 | 2,350 | 2,216 |
बहराइच | 2,300 | 2,300 | 2,300 | 850 |
औरैया | 2,130 | 2,160 | 2,250 | 380 |
शाहाबाद | 2,250 | 2,280 | 2,300 | 351 |
एटा | 2,150 | 2,185 | 2,195 | 200 |
नवाबगंज | 2,260 | 2,290 | 2,290 | 116 |
अछनेरा | 2,280 | 2,280 | 2,280 | 111 |
सुल्तानपुर | 2,225 | 2,250 | 2,250 | 104 |
सफदरगंज | 2,350 | 2,350 | 2,350 | 96 |
अलीगढ़ | 2,310 | 2,320 | 2,340 | 49 |
(Source: e-NAM/31/05/2023/Quintal)
उधर, उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार एक जून को चंडीगढ़ में गेहूं का थोक दाम 2650 रुपये प्रति क्विंटल रहा. इसी प्रकार दिल्ली में 2550, हिसार में 2200, करनाल में 2520, पंचकूला में 2400, श्रीनगर में 3300, अमृतसर में 2290, वाराणसी में 2450 और लखनऊ में गेहूं का थोक भाव 2300 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
दूसरी ओर, रायपुर में गेहूं का थोक भाव 3400, दुर्ग में 3200, अहमदाबाद में 2900, राजकोट में 3230, नासिक में 3100 और होशंगाबाद में 2350 रुपये प्रति क्विंटल रहा. कुल मिलाकर ट्रेंड यही दिख रहा है कि इस साल भी गेहूं महंगा रहेगा.
इसे भी पढ़ें: Wheat Production: इस साल भारत में कितना पैदा होगा गेहूं, सरकार ने दी पूरी जानकारी