Wheat Price Hike: ऑनलाइन मंडी में 5,740 रुपये क्विंटल हो गया गेहूं का दाम, डिमांड से ज्यादा पैदावार तो कैसे बढ़ रहा भाव?

Wheat Price Hike: ऑनलाइन मंडी में 5,740 रुपये क्विंटल हो गया गेहूं का दाम, डिमांड से ज्यादा पैदावार तो कैसे बढ़ रहा भाव?

प‍िछले एक साल में गेहूं और आटा दोनों महंगा हो गया है. फ‍िर ओएमएसएस के तहत फ्लोर म‍िलर्स और सहकारी एजेंस‍ियों को 100 लाख टन गेहूं सस्ते दर पर देने का क्या फायदा हुआ. गेहूं की आर्थ‍िक लागत लगभग 30 रुपये क‍िलो आती है, जबक‍ि सरकार ने फ्लोर म‍िलर्स को उसे 22 से 23 रुपये क‍िलो पर ही उपलब्ध करवाया. क्या यह टैक्सपेयर्स के पैसे की बर्बादी नहीं है?

क्यों बढ़ रहा है गेहूं का दाम. क्यों बढ़ रहा है गेहूं का दाम.
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Jun 12, 2024,
  • Updated Jun 12, 2024, 2:33 PM IST

केंद्र सरकार ने एलान क‍िया है क‍ि इस साल गेहूं की र‍िकॉर्ड पैदावार होने का अनुमान है, लेक‍िन इन दावों का बाजार पर कोई असर द‍िखता नजर नहीं आ रहा है. स्टॉक ल‍िम‍िट लगाने और एक्सपोर्ट बैन करने के बावजूद गेहूं का दाम र‍िकॉर्ड बना रहा है. राजस्थान में गेहूं का दाम 5,740 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया है. यह कोई शरबती गेहूं का दाम नहीं है. खुद केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई ऑनलाइन मंडी ई-नाम की वेबसाइट इसकी तस्दीक कर रही है. गेहूं का यह भाव 11 जून को राजस्थान की अलवर मंडी में दर्ज हुआ है. आमतौर पर दक्ष‍िण और पश्च‍िम भारत में गेहूं का दाम ज्यादा होता है, लेक‍िन राजस्थान में इतना ज्यादा दाम होना चौंकाता है. 

राजस्थान देश का पांचवां सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक सूबा है, ज‍िसकी कुल उत्पादन में 9.7 फीसदी की ह‍िस्सेदारी है. इसके बावजूद ऑनलाइन मंडी में दाम र‍िकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. इस समय गेहूं का एमएसपी 2275 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है और राजस्थान के क‍िसानों को उस पर 125 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल का बोनस म‍िल रहा है. यानी यहां गेहूं का सरकारी दाम 2400 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल हो गया है. 

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उत्पादन से कम खपत, फ‍िर संकट क्यों? 

केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय ने कहा है क‍ि 2023-24 में गेहूं का उत्पादन 1129.25 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 23.71 लाख मीट्रिक टन अध‍िक है. अब सवाल यह उठता है क‍ि जब उत्पादन र‍िकॉर्ड हुआ है तो गेहूं की महंगाई इतनी क्यों बढ़ रही है, जबक‍ि सालाना खपत स‍िर्फ 1050 लाख मीट्र‍िक टन है. क्या गेहूं के दाम में इतनी तेजी से वृद्ध‍ि इसकी कालाबाजारी के कारण हो रही है. वो कौन से लोग हैं ज‍िनकी वजह से ऐसा माहौल बन गया है क‍ि भारत में गेहूं का संकट है? 

कुछ बाजार व‍िशेषज्ञों का मानना है क‍ि कम और अध‍िक सरकारी गेहूं खरीद का ओपन मार्केट के दाम पर असर द‍िखता है. दरअसल, इस साल सरकार अपने गेहूं खरीद लक्ष्य से करीब 108 लाख टन दूर है, इसल‍िए भी मार्केट पर दाम बढ़ने का दबाव द‍िखाई दे रहा है. खरीद का लक्ष्य 373 लाख टन का है, खरीद का लक्ष्य 373 लाख टन का है, जबक‍ि अभी तक स‍िर्फ 265 लाख टन की ही खरीद हुई है. 

अलवर में बना गेहूं के दाम का र‍िकॉर्ड.

सरकारी कोश‍िशों का असर नहीं 

भारत दुन‍िया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है. घरेलू मोर्चे पर महंगाई का सामना करने के ल‍िए सरकार ने 13 मई 2022 से इसके एक्सपोर्ट पर बैन लगाया हुआ है. प‍िछले एक साल में गेहूं और आटा की महंगाई कम करने के नाम पर ही ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के तहत 100 लाख टन गेहूं र‍ियायती दर पर फ्लोर म‍िलर्स और सहकारी एजेंस‍ियों को द‍िया गया है. व्यापार‍ियों पर स्टॉक ल‍िम‍िट लगाई गई है, फ‍िर भी गेहूं और आटे के दाम में इतनी तेजी क‍िसी को पच नहीं रही है. 

ओएमएसएस के बावजूद कैसे बढ़ी महंगाई? 

थोक भाव से पहले एक बार र‍िटेल प्राइस पर भी नजर डाल लेते हैं. उपभोक्ता मामले मंत्रालय के प्राइस मॉन‍िटर‍िंग ड‍िवीजन के अनुसार 11 जून 2024 को देश में गेहूं का औसत दाम 30.84, अध‍िकतम 62 और न्यूनतम 22 रुपये प्रत‍ि क‍िलो रहा, जबक‍ि एक साल पहले यानी 11 जून 2023 को इसका औसत दाम 29.1 रुपये, अध‍िकतम 49 और न्यूनतम 21 रुपये रहा.

इसी तरह 11 जून 2024 को गेहूं के आटा का औसत दाम 36, अध‍िकतम 70 और न्यूनतम 27 रुपये क‍िलो रहा. जबक‍ि प‍िछले साल यानी 11 जून 2023 को आटा का औसत दाम 34.75, अध‍िकतम 67 और न्यूनतम दाम 26 रुपये प्रत‍ि क‍िलो था. 

साफ है क‍ि प‍िछले एक साल में गेहूं और आटा दोनों महंगा हो गया है. फ‍िर ओएमएसएस के तहत फ्लोर म‍िलर्स और सहकारी एजेंस‍ियों को 100 लाख टन गेहूं सस्ते दर पर देने का क्या फायदा हुआ. गेहूं की आर्थ‍िक लागत लगभग 30 रुपये क‍िलो आती है, जबक‍ि सरकार ने फ्लोर म‍िलर्स को उसे 22 से 23 रुपये क‍िलो पर ही उपलब्ध करवाया. क्या यह टैक्सपेयर्स के पैसे की बर्बादी नहीं है? 

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