गन्ने की खेती में रिकॉर्डतोड़ पैदावार, यूपी के किसान ने अपनाई यह खास किस्म

गन्ने की खेती में रिकॉर्डतोड़ पैदावार, यूपी के किसान ने अपनाई यह खास किस्म

यूपी के प्रगतिशील किसान कौशल कुमार ने गन्ने की खेती में मिसाल कायम की है. जब राज्य में गन्ने की फसल लाल सड़न रोग और हानिकारक कीटों के कारण प्रभावित हो रही थी, तब उन्होंने न सिर्फ इन चुनौतियों का सामना किया, बल्कि राज्य के औसत उत्पादन से ढाई गुना अधिक उपज प्राप्त कर 2023-24 में उत्तर प्रदेश में गन्ना उत्पादन का नया कीर्तिमान स्थापित किया. आइए जानते हैं उन्होंने कौन सी किस्म और तकनीक अपनाई.

sugarcane farmersugarcane farmer
जेपी स‍िंह
  • Noida,
  • Mar 31, 2025,
  • Updated Mar 31, 2025, 5:07 PM IST

खेती में गन्ने को "सब्र की फसल" भी कहा जाता है क्योंकि इसकी फसल तैयार होने में एक साल से अधिक का समय लगता है. लेकिन कहते हैं न कि सब्र का फल हमेशा मीठा होता है, बिल्कुल गन्ने की तरह. पैदावार अच्छी हो तो किसान के चेहरे पर खुशी साफ झलकती है. देश में गन्ने की खेती के लिए मशहूर उत्तर प्रदेश अब किसानों की नई तकनीक और मेहनत का गवाह बन रहा है. शाहजहांपुर के प्रगतिशील किसान कौशल कुमार ने गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर नया कीर्तिमान रच दिया है. उन्होंने वर्ष 2023-24 में गन्ने की सर्वाधिक पैदावार लेकर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है.

कौशल कुमार ने उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान (यूपीसीएसआर) द्वारा विकसित गन्ने की किस्म 13235 (सहज-5) का इस्तेमाल किया. उन्होंने 5 फीट की दूरी पर 2 आंख वाले गन्ने की रोपाई की और 1.5 फीट की दूरी पर पौधे रोपे. इसके साथ ही उन्होंने अंतरफसल के रूप में शिमला मिर्च की खेती की, जिससे अतिरिक्त आमदनी हुई.

गन्ने की बंपर पैदावार का राज

कौशल कुमार ने बताया कि उन्होंने बुवाई से पहले खेत में ढैंचा लगाया और 200 क्विंटल गोबर की खाद डाली. उन्होंने बुवाई के समय 10 किलो ट्राइकोडरमा, 150 क्विंटल सिंगल सुपर फॉस्फेट, 25 किलो यूरिया, 25 किलो पोटाश और 10 किलो सागरिका का इस्तेमाल किया. उन्होंने दो बार 25 किलो यूरिया और एक बार ट्राइकोडरमा का प्रयोग किया. इन तकनीकों के इस्तेमाल से उन्हें प्रति एकड़ 1050 क्विंटल गन्ने की पैदावार मिली, जबकि राज्य में औसत पैदावार 373 क्विंटल है.

ये भी पढ़ें: 90 दिनों में तैयार हो जाती है गेंदे की ये वैरायटी, यहां से खरीदें सस्ता बीज

कम लागत, अधिक उपज का मंत्र

कौशल कुमार ने कहा कि उन्होंने खेती से कमाई बढ़ाने के लिए कम लागत और अधिक उपज के सिद्धांतों का पालन किया. पुराने तरीके से खेती करने पर बीज की मात्रा प्रति एकड़ 40 क्विंटल के करीब होती है, जबकि कौशल कुमार ने आधुनिक तकनीक से खेती करके इस मात्रा को 8 क्विंटल प्रति एकड़ तक कम कर दिया है. गन्ने की पंक्तियों के बीच 5 फीट की दूरी रखी जाती है ताकि गन्ना स्वस्थ रहे और पौधे को उर्वरक भी ठीक से मिले.

ये भी पढ़ें: लिट्टी-चोखा, चना सत्तू...बिहार के कृषि उत्पादों को GI टैग दिलाने के लिए बीएयू ने फिर बढ़ाया एक कदम

जैविक और हरी खाद का उपयोग

कौशल कुमार ने बताया कि वे अपने खेतों में केवल हरी खाद या गोबर की खाद का ही इस्तेमाल करते हैं. जिससे फसलों को कोई नुकसान नहीं होता और जमीन की उर्वरता भी बनी रहती है. उन्होंने बताया कि सही तकनीक और मेहनत से गन्ना किसान अपनी पैदावार में काफी वृद्धि कर सकते हैं और अपने गन्ने की पैदावार और मुनाफे में भी बढ़ोतरी कर सकते हैं.

गन्ने में सही किस्म और तकनीक

शाहजापुर जिले की रोजा गन्ना मिल के सलाहकार ओपी गुप्ता ने बताया कि कौशल कुमार ने उन्नत तकनीक और प्रगतिशील सोच का प्रयोग कर गन्ने की खेती में अपनी अलग पहचान बनाई है. कौशल कुमार ने गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीक, गन्ने की बेहतर किस्म और सही समय पर गन्ने की बुवाई का प्रयोग किया, जिससे उन्हें बेहतर उत्पादन मिला. उन्होंने बताया कि उन्होंने गन्ना बोने के लिए उचित दूरी का पालन किया, जिससे बीज की बचत हुई और पैदावार में भी वृद्धि हुई.

कौशल कुमार ने गन्ने की खेती में इंटरक्रॉपिंग का प्रयोग कर अतिरिक्त आय प्राप्त की और गन्ने की खेती की लागत में भी कमी आई. कौशल कुमार ने अपने खेतों में जैविक खाद और गोबर की खाद का प्रयोग किया, जिससे फसलों को कोई नुकसान नहीं हुआ और भूमि की उर्वरा शक्ति बरकरार रही.

MORE NEWS

Read more!