सूखा प्रभावित इलाकों में भी बंपर उपज देता है ये धान, मात्र 90 दिनों में हो जाता है तैयार

सूखा प्रभावित इलाकों में भी बंपर उपज देता है ये धान, मात्र 90 दिनों में हो जाता है तैयार

जून के अंतिम सप्ताह और जुलाई की शुरुआत में कई राज्यों के किसान धान की बुवाई शुरू कर देते हैं. लेकिन कई राज्य ऐसे हैं जहां पानी की कमी होने के कारण किसान धान की खेती देरी से शुरू करते हैं. उन किसानों के लिए धान की ये किस्म किसी वरदान से कम नहीं है. आइए जानते हैं.

बासमती धान की उन्नत किस्मेंबासमती धान की उन्नत किस्में
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Aug 07, 2024,
  • Updated Aug 07, 2024, 1:48 PM IST

देश के लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई हो चुकी है. लेकिन कई धान उत्पादक राज्य ऐसे भी हैं जहां मॉनसून में कम हुई बारिश की वजह से किसान अभी तक धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं. साथ ही देश के कई राज्य ऐसे हैं जहां पानी की कमी होने के कारण किसान धान की खेती देरी से शुरू करते हैं क्योंकि धान की फसल को तैयार करने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने धान की एक ऐसी किस्में तैयार की हैं, जो कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी अच्छी उपज देती हैं. उन किसानों के लिए धान की किस्म किसी वरदान से कम नहीं है. आइए ऐसी ही एक किस्म उसकी खासियत के बारे में जान लेते हैं.

सूखा प्रभावित क्षेत्र वाली किस्म

सीआर धान 808: धान की खेती के लिए अगर आपके पास सिंचाई के सीमित संसाधन नहीं हैं तो आपको सीआर धान 808 किस्म का चयन करना चाहिए. इस किस्म की खेती सीधे बीज बोने वाले सूखा और कम वर्षा आधारित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मानी जाती है. वहीं, ये किस्म मात्र 90-95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से 17 से 23 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज ले सकते हैं. ये किस्म ब्लास्ट, ब्राउन स्पॉट, गैलमिज, स्टेम बोरर, लीफ फोल्डर और व्हाइट बैक्ड प्लांट हॉपर कीट और रोगों से प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती बिहार झारखंड में अधिक मात्रा में की जाती है.

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जानिए कैसे करें धान की रोपाई

धान की खेती में बंपर पैदावार लेने के लिए हरी खाद या 10-12 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सड़ी गोबर का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा रोपाई करने में पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी 20-30×15 सेंमी की होनी चाहिए. धान की रोपाई 3 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए. साथ ही एक जगह पर 2-3 पौधे ही लगाने चाहिए. ऐसा करने से अधिक पैदावार होती है. साथ ही खरपतवार साफ करने में भी फसलों को कम नुकसान होता है.

धान में करें इन खादों का प्रयोग

धान की खेती में खाद का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करना चाहिए. धान की सूखे क्षेत्रों वाले प्रजातियों के लिए 100-120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस, 60 किलो पोटाश और 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा बासमती किस्मों के लिए 80-100 किलो नाइट्रोजन, 50-60 किलो फास्फोरस, 40-50 किलो पोटाश और 20-25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए.

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