बासमती उत्पादक किसानों को इस साल धान का दाम पिछले साल के मुकाबले कम मिल रहा है. पश्चिम उत्तर प्रदेश में बासमती धान की खेती होती है. इस साल किसान 15 प्रतिशत से अधिक नमी के साथ औसतन 2,200-2,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बासमती धान बेचने पर मजबूर हैं. पिछले साल उन्हें 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा का दाम मिला था. यानी इस साल उन्हें घाटा हो रहा है. उत्तर प्रदेश में आमतौर पर अन्य सभी बासमती धान उत्पादक राज्यों के मुकाबले फसल सबसे पहले आती है, क्योंकि पूसा बासमती-1509 किस्म तुलनात्मक रूप से कम अवधि वाली है और पंजाब और हरियाणा की तुलना में इसकी पहले रोपाई की जाती है.
एक तरफ कम दाम मिलने से किसानों को नुकसान हो रहा है तो दूसरी ओर इससे निर्यातकों को मदद मिलने की संभावना है, क्योंकि इससे देश से सुगंधित चावल की खेप पाकिस्तान के मुक़ाबले दाम में प्रतिस्पर्धी हो जाएगी. भारत के अलावा सिर्फ पाकिस्तान में बासमती धान की खेती होती है. पाकिस्तान भारत के बासमती चावल कारोबार में अक्सर अड़ंगा डालने की कोशिश करता रहता है.
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बिजनेसलाइन से बातचीत में उत्तर प्रदेश के शामली जिले के किसान देवेंद्र सिंह ने कहा, "मुझे पिछले साल की तरह ही कीमत मिलने की उम्मीद है, जब मैंने अपने गांव में 3,200 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान बेचा था." सिंह ने मई के मध्य में पूसा बासमती-1509 किस्म की रोपाई की थी और अगले 15 दिनों के बाद कटाई की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस साल उपज में एक चौथाई की गिरावट आ सकती है, क्योंकि आस-पास के किसी भी किसान को अब तक एक बीघा से 3 क्विंटल से अधिक उपज नहीं मिली है, जबकि पिछले साल यह 4 क्विंटल से अधिक थी.
सिंह ने कहा कि उन्होंने पिछले साल 9 बीघा से इस साल बासमती का रकबा घटाकर 6 बीघा कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर था कि कीमतें कम हो सकती हैं. सिंह ने कहा, "जब किसी साल कीमतें अधिक होती हैं, तो आमतौर पर अगले सीजन में बुवाई का रकबा भी बढ़ जाता है और कीमतें गिर जाती हैं. "
अलीगढ़ जिले के एक अन्य किसान भूषण त्यागी ने बताया कि उन्हें खैर मंडी में 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के दाम पर पूसा बासमती-1509 किस्म का धान बेचने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा कि पिछले साल की तुलना में इस बार उपज में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि दाम कम है लेकिन मंडी में लाई हुई फसल वापस घर नहीं ले जा सकते. उधर, एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, 1-5 अगस्त के दौरान उत्तर प्रदेश में बासमती धान की कीमतें 2,100-2,600 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में थीं.
खैर मंडी के एक कमीशन एजेंट ने कहा, "हमें कारण नहीं पता, लेकिन निर्यातक 2,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक दाम पर धान खरीदने को तैयार नहीं हैं." उन्होंने कहा कि नमी का स्तर अभी 20 प्रतिशत के साथ काफी अधिक है. लेकिन कुछ व्यापारियों ने कहा कि औसत नमी लगभग 15 प्रतिशत हो सकती है. दूसरी ओर, हरियाणा की करनाल मंडी में अपनी उपज बेचने वाले यूपी के शामली जिले के किसानों ने कहा कि इस साल दरें 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं हैं.
एसोसिएशन ऑफ कमीशन एजेंट्स के उपाध्यक्ष राजिंदर गुप्ता ने कहा कि मिलर्स सावधानी से खरीदारी कर रहे हैं, क्योंकि पिछले साल बासमती धान को बहुत अधिक लागत पर खरीदने के बाद उन्हें घाटा हुआ था. गुप्ता ने कहा कि इसके अलावा, आपूर्ति भी अधिक है, क्योंकि किसानों ने एक और साल अधिक कीमत पाने की उम्मीद में खेती बढ़ा दी थी. भारत बासमती चावल का निर्यात 950 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) पर कर रहा है.
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