टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने उठाई इंपोर्ट ड्यूटी खत्म करने की मांग, क‍िसानों को होगा नुकसान  

टेक्सटाइल इंडस्ट्री ने उठाई इंपोर्ट ड्यूटी खत्म करने की मांग, क‍िसानों को होगा नुकसान  

Cotton Price: क‍िसान इस साल भी कॉटन का भाव 12000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक होने का इंतजार रहे हैं. इसल‍िए मंड‍ियों में कॉटन की आवक बहुत कम है. अब सीएआई ने 11 फीसदी आयात शुल्क खत्म करने का आग्रह किया है. हालांक‍ि, ऐसा हुआ तो क‍िसानों को नुकसान होगा. 

कॉटन के अच्छे भाव से कौन हो रहा है परेशान? कॉटन के अच्छे भाव से कौन हो रहा है परेशान?
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 28, 2022,
  • Updated Dec 28, 2022, 6:37 PM IST

कॉटन की खेती करने वाले क‍िसान अक्सर परेशानी से जूझते रहे हैं. लेक‍िन, प‍िछले दो साल से म‍िल रहे अच्छे भाव ने उनका हौसला बढ़ा द‍िया है. अब क‍िसान खुश हैं तो टेक्सटाइल इंडस्ट्री से जुड़े लोग परेशान हो रहे हैं. उन्हें सस्ता कॉटन चाह‍िए. वो दूसरे देशों में भारत के मुकाबले कॉटन के कम भाव का हवाला देकर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की मांग कर रहे हैं. इसल‍िए कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने वाणिज्य और कपड़ा मंत्री से कॉटन पर 11 फीसदी आयात शुल्क तत्काल प्रभाव से खत्म करने का आग्रह किया है. हालांक‍ि, क‍िसानों की पैरोकारी करने वाले लोगों का कहना है क‍ि सरकार ने ऐसा क‍िया तो कॉटन उत्पादकों के साथ नाइंसाफी होगी. 

सीएआई ने कहा है क‍ि वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारत में कॉटन का भाव काफी ज्यादा है. पीक आवक सीजन के दौरान कॉटन का भाव का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से हाई रहना टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. इंडस्ट्री अभी अपनी मौजूदा क्षमता का सिर्फ 40-50 फीसदी पर ही परिचालन कर पा रही हैं. हालांकि इस साल परिदृश्य अलग है, क्योंकि कपास की आवक में तेजी आना अभी बाकी है और असमानताएं बाजार के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं.  

एसोस‍िएशन ने क्या कहा? 

सीएआई ने कहा है क‍ि सरकार ने 2 फरवरी 2021 से कपास पर 11 फीसदी आयात शुल्क लगाया है. इसके कारण, आयातित कपास महंगा हो गया है. जबक‍ि भारतीय कपास की कीमतें दूसरे देशों के मुकाबले काफी ऊपर चल रही हैं. इसल‍िए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हमारे मूल्य वर्धित उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बहुत कम हो गई है. हमारा कपड़ा उद्योग, जो देश में दूसरा सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता है, अब अपनी स्थापित क्षमता के केवल 50 के साथ काम करने के लिए विवश है. आयात शुल्क लगाना देश की दशकों पुरानी मुक्त व्यापार नीति के अनुरूप नहीं है और यह विश्व कपास समुदाय को गलत संकेत देता है. 

क‍िसानों का होगा नुकसान 

केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई एमएसपी कमेटी के सदस्य ब‍िनोद आनंद का कहना है क‍ि बहुत मुश्क‍िल से क‍िसानों को कॉटन का अच्छा दाम म‍िल रहा है. इसल‍िए अगर इंपोर्ट ड्यूटी खत्म करके घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों को कम करने की कोश‍िश की गई तो यह क‍िसानों के साथ सरासर अन्याय होगा. क‍िसानों को ठीक रेट म‍िल रहा है तो म‍िलने दीज‍िए. टेक्सटाइल इंडस्ट्री घाटे में नहीं है, क‍िसान जरूर घाटे में होते हैं. ऐसी पॉल‍िसी बंद करनी होगी ज‍िससे क‍िसानों को नुकसान पहुंचता हो. 

एमएसपी से अधिक है दाम 

प‍िछले साल कॉटन का भाव 10000 से 12000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया था. इस साल अभी 8000 रुपये के आसपास का भाव चल रहा है. ऐसे में क‍िसानों को लगता है क‍ि प‍िछले साल जैसा ही इस बार भी रेट म‍िलेगा. इसल‍िए वो अच्छे भाव की उम्मीद में काटन बाहर नहीं न‍िकाल रहे हैं. टेक्सटाइल इंडस्ट्री का कहना है क‍ि क‍िसानों को तो तब नुकसान होगा जब रेट एमएसपी से नीचे आएगा. साल 2022-23 के ल‍िए कॉटन की एमएसपी 6380 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल है. अकेले भारत में दुनिया का 22 फीसदी कॉटन पैदा होता है.

आवक में काफी कमी 

ओर‍िगो कमोड‍िटी के मुताब‍िक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में दिसंबर में अब तक की कुल आवक में करीब 41.40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि नवंबर 2022 में आवक 27.7 फीसदी कमजोर थी. आवक में कमी की वजह से जिनर्स और स्पिनर्स दोनों के कारोबार पर असर पड़ रहा है. इसके र‍िसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है क‍ि पिछले साल के स्तर तक कॉटन का भाव पहुंचने की संभावना नहीं है, क्योंकि घरेलू उत्पादन अधिक है. वैश्विक बाजार में भाव नरम है और इन दिनों मांग कमजोर है. फसल सीजन 2022-23 के लिए कुल आवक 1.22 मिलियन मीट्रिक टन दर्ज की गई है, जो कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 41.04 फीसदी कम है.

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