हरियाणा के कुरूक्षेत्र जिले के नैसी गांव में मारकंडा नदी में आई दरार से सैकड़ों एकड़ खेत जलमग्न हो गए. शाहाबाद ब्लॉक के लगभग 16 गांवों के धान उत्पादक किसान पहले से ही नदी के पानी के कारण नुकसान की आशंका से जूझ रहे थे, वहीं नैसी में आई दरार ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. पिछले महीने नदी में दरार आने के कारण नैसी और आसपास के गांवों की लगभग 500-700 एकड़ जमीन जलमग्न हो गई थी. ऐसा ही हाल रोहतक जिले का है जहां भारी बारिश से हजारों एकड़ खेत जलमग्न हो गए हैं.
जानकारी के अनुसार, नैसी गांव के पास सुबह-सुबह एक दरार आ गई, जिसके बाद आसपास के गांवों के निवासियों ने एक स्थानीय गुरुद्वारे की मदद से दरार को भरने के प्रयास शुरू कर दिए. सिंचाई विभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. किसान जगतार सिंह ने कहा कि जुलाई में भी नदी में दरार आ गई थी और सैकड़ों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई थी. दोबारा रोपाई की गई, लेकिन खेत फिर से जलमग्न हो गया है.
सरपंच के नेतृत्व में जंधेरी गांव के निवासी भी दरार को भरने के लिए पहुंचे. वहीं, मौके पर पहुंचे जेजेपी नेता जसविंदर खेहरा ने कहा कि नदी के कारण किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार को उन्हें मुआवजा देना चाहिए और कोई स्थायी समाधान निकालना चाहिए.
कुरुक्षेत्र के अतिरिक्त उपायुक्त महावीर प्रसाद ने कहा कि दरार को भरने के लिए सभी कर्मचारी और मशीनें मौके पर तैनात कर दी गई हैं. स्थानीय निवासियों की मदद से स्थिति पर काबू पा लिया गया है. सिंचाई विभाग को इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने के निर्देश भी दिए गए हैं. वहीं, कृषि विभाग की एक अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार, शाहाबाद ब्लॉक के 16 गांवों की 3,600 एकड़ से ज़्यादा खेतों में लगी फसल प्रभावित हुई है.
कठवा के पूर्व सरपंच अमरिंदर सिंह ने कहा कि गांव मारकंडा नदी के किनारे बसा है और हर साल पानी के तेज़ बहाव के कारण हमें नुकसान उठाना पड़ता है. पानी खेतों से होकर बहने लगता है और गांव की सड़कें भी जलमग्न हो जाती हैं. किसानों ने सरकार से फसलों की सुरक्षा के लिए गांव के किनारे एक बांध बनवाने की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
किसान हरदीप राणा ने कहा कि उन्होंने लगभग 45 एकड़ में धान बोया था, लेकिन पिछले कई दिनों से लगातार पानी बह रहा है और फसल जलमग्न हो गई है. इस मुद्दे पर बीकेयू (चरुनी) के प्रवक्ता राकेश बैंस ने कहा कि सरकार को गिरदावरी का आदेश देना चाहिए और उनके नुकसान के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की घोषणा करनी चाहिए. सरकार को क्षेत्र के खेतिहर मजदूरों को भी कुछ राहत देनी चाहिए. वहीं, कृषि उपनिदेशक करमचंद ने कहा कि नदी का पानी अभी भी कृषि क्षेत्रों से होकर बह रहा है और हमें नुकसान का आकलन करने के लिए पानी के कम होने का इंतजार करना होगा.
इसके साथ ही रोहतक जिले के मेहम उपमंडल में हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जिससे खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं और किसान निराश हैं. धान, बाजरा, कपास और ज्वार की फसलें बर्बाद हो गई हैं और किसानों को डर है कि अगर जलभराव जारी रहा तो गेहूं की बुवाई संभव नहीं हो पाएगी.
सैमन गांव के निवासी करमवीर ने कहा कि उनके गांव में लगभग 2,000 एकड़ खेत अभी भी जलमग्न है, जिससे किसानों की फसल को भारी नुकसान हो रहा है. सिंचाई विभाग और स्थानीय प्रशासन ने पानी निकालने की कोशिश की है, लेकिन ये इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जल निकासी के लिए बिछाई गई पाइपलाइनें कम हैं और उन्होंने अधिक क्षमता वाली बड़ी पाइपलाइनें लगाने की मांग की है. गांव के कई किसानों ने जलभराव की समस्या के स्थायी समाधान की मांग की, उन्होंने फसल नुकसान के मुआवजे और जल निकासी के लिए सौर पंपों की व्यवस्था की भी मांग की.
इस मामले पर अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) के राज्य महासचिव सुमित दलाल ने सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना की और कहा कि दीर्घकालिक समाधान खोजने के बजाय मॉनसून के दौरान पानी निकालने के लिए व्यवस्था की जाती है.महम के एसडीएम मुकुंद ने किसानों को आश्वासन दिया कि स्थायी उपाय किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्थायी पंपसेट लगाने की योजना बनाई जा रही है.