बिहार की चाय अब वैश्विक स्तर पर ब्रांड के तौर पर स्थापित होगी. इसको लेकर बिहार सरकार ने काम शुरू कर दिया है, जिसके तहत बिहार में चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए टी ऑफ एक्सीलेंस सेंटर स्थापित किया जाएगा. असल में बिहार सरकार आने वाले दिनों में चौथा कृषि रोड मैप लागू करने की तैयारी कर रही है, लेकिन उससे पहले सरकार कृषि क्षेत्र में हुए कार्यों सहित आने वाले समय में होने वाले कार्यों पर विचार विमर्श भी कर रही है. इसी के तहत सूबे के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत ने पटना के कृषि भवन में चौथे कृषि रोड मैप में उद्यान से संबंधित घटकों पर चर्चा विमर्श किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि तीन कृषि रोड मैप लागू होने के बाद चौथा कृषि रोड मैप जल्द लागू किया जाएगा. साथ ही सरकार की योजनाएं धरातल पर लागू होने के दौरान आने वाली समस्याओं को लेकर समीक्षा की जा रही है.
उन्होंने कहा कि चौथे रोड मैप में मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने पर कार्य किया जाएगा. साथ ही आने वाले समय में चाय ऑफ एक्सीलेंस सेंटर बनाने की योजना है.
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चौथे कृषि रोड मैप में उद्यान से संबंधित घटकों पर चर्चा करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य में प्याज की खेती रबी फसल में की जाती है, लेकिन अब खरीफ फसल के साथ अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित प्याज के विशिष्ट किस्मों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. जिसको लेकर सूबे की सब्जी के गुणवत्तापूर्ण बिचड़ों का वितरण, प्याज का क्षेत्र विस्तार एवं संरक्षित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. आगे उन्होंने कहा कि जलवायु में हो रहे परिवर्तन को देखते हुए जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है. साथ ही राज्य के अनुकूल जलवायु एवं मिट्टी के कारण बागवानी फसलों के उत्पादकता बढ़ाने की अपार संभवनाएं हैं और इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है.
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कृषि मंत्री ने कहा कि विशिष्ट फसल या उत्पाद आधारित सात आदर्श बगावनी केंद्र, शहद ,पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट, मशरूम, मखाना, आम सब्जी एवं फल स्थापित करने की योजना है. इन कार्यों के अलावा बागवानी फसलों के क्षेत्र विस्तार, मशरूम उत्पादन, फसलोत्तर प्रबंधन एवं बाजार के लिए बुनियादी ढांचे, प्रसंस्करण इकाइयों, सूक्ष्म सिंचाई, प्रशिक्षण एक्सपोजर विजिट, प्रदर्शनी प्रत्यक्षण सहित कई घटकों के विकास कार्य संचालित किया जाएगा. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा फल, फूल,मसाला,चाय, मखाना, पान, हल्दी आदि उद्यानिकी फसलों के क्षेत्र में विस्तार किया जाएगा. वहीं आने वाले 5 वर्षों के दौरान 188000 किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा.