Sugar Free Rice: डायब‍िटीज के मरीज भी खा सकेंगे चावल, शुगर फ्री धान की किस्में तैयार

Sugar Free Rice: डायब‍िटीज के मरीज भी खा सकेंगे चावल, शुगर फ्री धान की किस्में तैयार

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र ने मधुमेह रोगियों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए शुगर मुक्त चावल के लिए चावल की दो किस्मों IRRI 147 और IRRI-162 की पहचान की है. अगर आप इसे खाते हैं तो शुगर लेवल एक सीमित स्तर तक बढ़ सकता है.

Irri ने शुगर फ्री धान की क‍िस्में की तैयार - फोटो क‍िसान तकIrri ने शुगर फ्री धान की क‍िस्में की तैयार - फोटो क‍िसान तक
जेपी स‍िंह
  • Varanasi ,
  • May 30, 2023,
  • Updated May 30, 2023, 6:34 PM IST

डायबि‍ट‍ीज यानी शुगर... इस बीमारी ने दुन‍ियाभर में तेजी से पैर पसारे हैं. शुगर के मरीजों को कई तरह की सावधान‍ियां बरतनी पड़ती हैं. शुगर न‍ियंत्रण के ल‍िए चावल का प्रयोग भी प्रत‍िबंध‍ित हैं. ऐसे में शुगर के मरीज चावल खाने को लेकर परेशान रहते हैं, लेक‍िन शुगर मरीजों की इस समस्या का समाधान हो गया है. अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) वाराणसी ने डाय‍ब‍िटीज के मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए शुगर फ्री चावल के लिए धान की दो क‍िस्मों का व‍िकास क‍िया है. ज‍िसे जल्द ही भारत सरकार जारी कर सकती है.मसलन, इन क‍िस्मों के जारी होने के बाद क‍िसान इन क‍िस्मों से धान का उत्पादन कर सकेंगे और एक से दो साल में शुगर फ्री चावल बाजार में दस्तक दे देगा. 

ये हैं शुगर फ्री धान की क‍िस्में 

अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) वाराणसी ने शुगर फ्री धान की दो क‍िस्में व‍िकस‍ित की हैं. इन क‍िस्मों का नाम IRRI-147 और IRRI-162 है. धान की इन दो क‍िस्मोंं के सेवन से शरीर में शुगर की मात्रा एक सीम‍ित स्तर तक ही बढ़ती है. धान की दोनों किस्मों के उत्पादन क्षमता पर भी देश के अलग-अलग राज्यों में शोध हुआ है. 

शुगर फ्री धान की क‍िस्मों का उत्पादन 

क‍िसान तक से बातचीत में IRRI के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने बताया कि देश में करीब 7.7 करोड़ लोग मधुमेह यानी डायबिटीज से पीड़ित हैं और 2.5 करोड़ के करीब लोगों को शुगर होने की अधिक संभावना है. उन्हाेंने बताया क‍ि धान की शुगर फ्री किस्मों की उत्पादन क्षमता की जांच की गई. इसमें IRRI-147 क‍िस्म का उत्पादन 4.2 से 5.5 टन प्रति हेक्टेयर दर्ज किया गया.

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इसमें छत्तीसगढ़ के रायपुर में 4.2 टन प्रति हेक्टेयर, हैदराबाद में 5.5 टन और कटक में पांच टन उत्पादन दर्ज क‍िया गया है. इसी तरह IRRI- 162 का त्रिपुरा में 5.3 टन, हजारीबाग में 5.1 टन, बनारस में 4.2 टन और कटक में 4.7 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन दर्ज किया गया. 

दूसरे चावल की मुकाबले शुगर की वृद्धि सीमित

IRRI के वैज्ञानिकों का कहना है क‍ि धान की दोनों किस्मों क्लीनिकल मानव परीक्षण किया गया है. इसमें 12-15 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी चावल खाने से पहले और बाद शुगर की जांच की गई. वैज्ञानिकों ने पाया कि और दूसरे चावल के मुकाबले IRRI के शुगर फ्री चावल से क‍िसी भी व्यक्त‍ि के शरीर में शुगर की मात्रा में सीम‍ित बढ़ोत्तरी होती है, ज‍िससे शुगर न‍ियंत्र‍ित रहता है. डाक्टरों के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति में 100 से 200 के बीच का शुगर लेवल सही माना गया है. इस मात्रा से शुगर की कमी या बढ़ोत्तरी को सेहत के ल‍िए खराब माना जाता है और कई अंगों के नुकसान होने खतरा बढ़ जाता है.

अधिक जीआई वाले खाद्य पदार्थ शुगर बढ़ाते हैं

क‍िसान तक से बातचीत में डाॅ सुधाशु सिंह ने कहा कि अधिकतर चावल के किस्मों का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) 70 से 92 के बीच होता है, जिसे मधुमेह ग्रस्त लोगों के लिए स्वास्थ्यकर नहीं माना जाता है. अधिक जीआई वाले खाद्य पदार्थ रक्त में शुगर के स्तर में तेजी से वृद्धि करते हैं. ऐसे में IRRI के फिलीपींस मुख्यालय और भारत में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय केंद्र वाराणसी में कम जीआई मान वाले चावल की नई किस्मों पर अनुसंधान किया गया] जिसमे दो प्रजातियों पर चार साल के शोध के बाद सफलता मिली है और  कम जीआई वाले किस्मों की पहचान के लिए शोध जारी है, जो शुगर बीमारी ग्रसित लोगों के लिए चावल का उत्कृष्ट विकल्प हो सकती हैं.

चावल की गुणवत्ता में सुधार का काम करता है IRRI

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