मॉनसून में देरी और कम बारिश ने धान की खेती का पूरा ट्रेंड बदल कर रख दिया है. किसानों ने वैसी तकनीक पर भरोसा जताया है जिसका चलन पहले से तो था, लेकिन उसका इस्तेमाल कम हो रहा था. हालांकि अब यह इस्तेमाल तेज हो गया है. वजह है, कम बारिश और मॉनसून का एड़ी-टेड़ी चाल. इस नई तकनीक को धान की सीधी बिजाई या डायरेक्ट सीडिंग (DSR Technique) कहते हैं. इस विधि में धान की रोपाई नहीं की जाती बल्कि बिजाई या बुआई की जाती है. खेत की जुताई कर धान का बीज छिड़क दिया जाता है. दूसरी ओर धान की रोपाई में खेत की जुताई करने, पानी लगाने के बाद बिचड़े की रोपाई की जाती है. इस विधि में पानी और श्रम की अधिक खपत होती है जबकि सीधी बिजाई में इन दोनों की बचत होती है.
धान की सीधी बिजाई देश के लगभग हर इलाके में की जाती रही है. हालांकि इसका स्तर बहुत छोटा रहा है. लेकिन अब इसका दायरा बढ़ गया है. सीधी बिजाई में किसानों को बारिश का इंतजार नहीं करना पड़ता. न ही उन्हें धान का बिचड़ा कहीं और से लाकर खेत में रोपना होता है. सीधी बिजाई की खेती आसान है और श्रम भी कम लगता है. पानी की समस्या को देखते हुए भी किसान अब सीधी बिजाई पर अधिक ध्यान लगा रहे हैं.
सीधी बिजाई में अगर ड्रम सीडर्स का इस्तेमाल करें तो दो मजदूरों की मदद से एक दिन में पूरे एकड़ में धान की बुआई की जा सकती है. अगर वहीं धान की परंपरागत खेती करें जिसमें बिचड़े की रोपाई की जाती है, तो एक एकड़ की खेती में 25-30 मजदूरों की जरूरत होगी. इसके अलावा, परंपरागत खेती में किसानों को बिचड़ा तैयार होने के लिए एक महीने का इंतजार करना होता है. सीधी बिजाई में ये सब झंझट नहीं है. ऐसी जानकारी ICAR-IIRR के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. महेंद्र कुमार ने 'बिजनेसलाइन' को दी.
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रिपोर्ट से पता चलता है कि सीधी बिजाई (DSR Technique) से अभी तक 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुआई हुई है. इसमें छह से साढ़े छह लाख हेक्टेयर केलव पंजाब में है जबकि तेलंगाना में एक लाख हेक्टेयर का रकबा इसके तहत आता है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और ओडिशा के कुछ हिस्सों में भी सीधी बिजाई से धान की खेती हो रही है.
ICAR-IIRR के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. महेंद्र कुमार कहते हैं, आंध्र प्रदेश में एक एनजीओ की मदद से सीधी बिजाई पर जोर दिया जा रहा है जहां 4,000 हेक्टेयर में धान की बुआई की जा रही है. इस तकनीक से किसान प्रति हेक्टेयर 10,000 रुपये तक की बचत कर सकेंगे. इस विधि से खेतों में 15 फीसद तक पानी की बचत होती है क्योंकि धान लगने के एक महीने बाद ही उसे पानी देने की जरूरत होती है.
कृषि विज्ञान केंद्र, वायरा (तेलंगाना) के डॉ. जे हेमंत कुमार कहते हैं, सीधी बिजाई (DSR Technique) ही धान का भविष्य है. इससे मजदूरों की कमी की समस्या दूर की जा सकती है क्योंकि धान की खेती में यही सबसे बड़ी बाधा है. इसमें किसानों को बारिश का इंतजार नहीं करना पड़ता क्योंकि वे खेतों में धान की सीधी बिजाई कर सकते हैं. तेलंगाना में किसान धान की रोपाई के लिए बारिश का इंतजार करते हैं क्योंकि बारिश से पानी मिलता है. फिर धान के बिचड़े को रोपना होता है. इससे खेती का समय भी बढ़ जाता है. लेकिन सीधी बिजाई में खेत में बीज छिड़क कर खेती करते हैं. इससे धान की फसल 10-15 दिन पहले तैयार हो जाती है.
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धान की सीधी बिजाई (DSR Technique) में सबसे बड़ी समस्या खर-पतवार की होती है. धान के बीज के साथ खप-पतवार भी तेजी से उगते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर खऱ-पतवार का प्रबंधन सही ढंग से कर दिया जाए तो सीधी बिजाई बहुत सफल हो सकती है. खर-पतवार को हटाने का सही तरीका अपनाएं, खर-पतवारनाशी का सही इस्तेमाल करें तो सीधी बिजाई में किसान अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं.
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