महाराष्ट्र के किसान बारिश न होने की वजह से परेशान हैं. राज्य के कई जिलों में बारिश न होने के कारण खरीफ फसलों की स्थिति गंभीर हो गई है. वहीं सोलापुर जिले में भी बारिश नहीं होने की वजह खरीफ सीजन की फसलें पूरी तरह से सूख गई हैं. अकोला, जालना और लातूर समेत कई जिलों में भी यही हालात हैं. किसानों का कहना है कि प्रकृति जैसे हम किसानों से रूठ गई है. पहले रबी सीजन की फसल खराब हुई और अब खरीफ सीजन की मुख्य फसल बर्बाद हो रही है. इस बीच सोलापुर जिले के एक किसान ने सोयाबीन की सूखी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया.
सोलापुर जिले के होन्सल तालुका के रहने वाले किसान विलास साखरे ने बताया कि जिले में पिछले एक महीने से बारिश नहीं हो रही है. इस वजह से हालात बिगड़ गए हैं. खेती तबाह हो गई है.साखरे ने अपने 4 एकड़ में सोयाबीन की खेती की थी, लेकिन बारिश नहीं होने की वजह से पूरी फसल फसल सूख गई है. जिसके चलते उन्होंने अपने खेत में ट्रैक्टर चलाकार फसल नष्ट कर दिया. न फसल रहेगी और न दुख होगा.
वहीं जालना जिले के कई क्षेत्रों में भी बारिश न होने के कारण खरीफ सीजन की फसल कपास और सोयाबीन सूख जाने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है. किसान अब सरकार मदद की गुहार लगा रहे हैं. हालांकि, अभी तक सरकार ने उनके लिए किसी तरह के राहत राशि की घोषणा नहीं की है. जालना मराठवाड़ा का जिला है. यहां 1 जून से 6 सितंबर तक सामान्य से 52 फीसदी कम बारिश हुई है. औरंगाबाद, बीड़ और हिंगोली में सामान्य से 40 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है.
किसान विलास साखरे ने कहा कि इस साल उन्होंने चार एकड़ में खेती की थी. लेकिन, सूखे ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया. इंटरक्रॉपिंग और निराई-गुड़ाई भी कर ली थी. अब उन्हें उम्मीद थी कि इन सोयाबीन से अच्छी फलियां निकलेंगी और खूब पैदावार होगी. लेकिन पिछले कुछ दिनों में सोयाबीन की फसल पर अचानक इल्लियों का हमला हो गया. साथ ही पानी के अभाव में सोयाबीन के पौधों की पत्तियां पूरी तरह से झुलस गईं. ऐसे में हमने ट्रैक्टर चलाकार फसल को खेत से निकालना ही उचित समझा. करीब दो लाख रुपये का नुकसान हो गया.
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नमी की कमी की वजह से फसल की बढ़वार उस तरह से नहीं हुई, जैसी होनी चाहिए थी. बारिश के अभाव में पत्तियां मुरझा गई हैं. राज्य के कई जिलों में एक महीने से बारिश की एक बूंद भी नहीं गिरी है. कपास और सोयाबीन की खेती सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. फसल सूखने से उनकी चिंता बढ़ गई है. हालात ये हो गए हैं कि लागत भी निकलना मुश्किल लग रहा. हालांकि, सरकार ने अब तक सूखा प्रभावित किसानों के लिए किसी रात पैकेज का ऐलान नहीं किया है.
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