तिलहन और दलहन दोनों फसलों में आने वाली सोयाबीन की खेती का दायरा इस साल काफी बढ़ गया है. अब तक की रिकॉर्ड बुवाई हुई है क्योंकि तिलहन और दलहन दोनों की मांग और आपूर्ति में काफी अंतर है. देश में सोयाबीन की बुवाई का सामान्य एरिया 117.44 लाख हेक्टेयर है. जबकि 4 अगस्त 2023 तक 122.39 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. यानी सरकार जितना एरिया मानती है किसान उससे अधिक बुवाई कर चुके हैं. जबकि अगर पिछले साल यानी 4 अगस्त 2022 की बात करें तो तब तक 117.63 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया था. यानी पिछले साल के मुकाबले 4.76 लाख हेक्टेयर में बुवाई बढ़ गई है. सोयाबीन की सबसे ज्यादा खेती करने वाले महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसानों ने जमकर इसकी बुवाई की है.
इस साल कई किसानों ने कपास की खेती कम कर दी है और सोयाबीन को प्राथमिकता दी है. अगर देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की बात करें तो यही ट्रेंड है. मराठवाड़ा में इस साल किसानों ने पिछले साल की तुलना में अधिक बुवाई की है. हालांकि इस साल फसलों पर कीटों के बढ़ते अटैक से किसान परेशानी में नजर आ रहे हैं. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि कीटनाशकों से इस पर काबू पा लिया जाएगा. किसानों ने अगले साल अच्छे दाम की उम्मीद में बुवाई बढ़ा दी है.
सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र ने मध्य प्रदेश को पछाड़कर नंबर वन होने का ताज हासिल कर लिया है. इस साल यहां किसानों ने बड़े पैमाने पर इसकी खेती की है. मराठवाड़ा के जिलों में सोयाबीन की सबसे ज्यादा की जाती है. इस साल बारिश में हुई देरी के चलते किसानों को खरीफ सीजन के फसलों की बुवाई में भारी नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि, कृषि विभाग ने जानकारी दी है कि मराठवाड़ा के 8 जिलों में सामान्य क्षेत्रफल 19 लाख 50 हजार 692 हेक्टेयर की तुलना में 24 लाख 66 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया है. यानी इस साल भी किसानों ने बड़े पैमाने पर इसकी खेती की है.
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छत्रपति संभाजीनगर, जालना, बीड, लातूर, परभणी, हिंगोली, नांदेड़ में सामान्य क्षेत्र की तुलना में सोयाबीन की बुआई आगे बढ़ी है. हालांकि, दूसरी ओर नांदेड़, बीड़ और लातूर में सोयाबीन की फसलों के उपर घोंघे का प्रकोप तेजी बढ़ रहा है. पिछले वर्ष सोयाबीन की फसल पीला मोजेक रोग से प्रभावित हुई थी. इसलिए किसानों को पूरी फसल उखाड़नी पड़ी थी. इस वर्ष भी सीज़न की शुरुआत में, कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन पर पीला मोज़ेक रोग की सूचना मिली है. इस रोग से सोयाबीन की उपज में 15 से 75 प्रतिशत तक की हानि हो सकती है. वहीं मोजेक रोग के आलावा फसलों पर इस साल घोंघे का अटैक भी बढ़ रहा है.