खेती के लिए जून तक मौसम गर्म रहने के संकेत, कुछ इलाकों में रबी फसलों पर विपरीत असर दिखने की आशंका 

खेती के लिए जून तक मौसम गर्म रहने के संकेत, कुछ इलाकों में रबी फसलों पर विपरीत असर दिखने की आशंका 

वैश्विक मौसम एजेंसियों के अनुसार अल नीनो संकट 2024 में भी फसलों को प्रभावित करेगा. हालांकि, इस साल पिछले साल की तरह अधिक सूखे के संकेत नहीं हैं.

खेती के लिए जून तक मौसम गर्म रहने के संकेतखेती के लिए जून तक मौसम गर्म रहने के संकेत
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 29, 2024,
  • Updated Jan 29, 2024, 12:55 PM IST

साल 2023 में अलनीनो के चलते फसलों के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा और उपज के लिए अनुमानित आंकड़े नीचे रह गए. 2023 में अल नीनो के चलते सूखे की स्थिति रही और भारत में खरीफ फसलों का उत्पादन 3 फीसदी गिर गया. वैश्विक मौसम एजेंसियों का अनुमान बताता है कि 2024 में भी अल नीनो के चलते मौसम में अनिमितता देखने को मिलेगी. अप्रैल-जून 2024 तक अलनीनो के न्यूट्रल रहने के संकेत जताए गए हैं. इसका मतलब है कि मौसम में गर्मी बनी रहेगी, जो उपज को प्रभावित कर सकती है.  

अप्रैल-जून में अल नीनो का असर रहने के संकेत 

अमेरिकी मौसम एजेंसी क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अक्टूबर और नवंबर 2023 में मध्य और पूर्व-मध्य प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह के तापमान में गड़बड़ियां देखी गईं, लेकिन दिसंबर में इसमें सुधार के सकारात्मक संकेत दिखे हैं. वहीं, एजेंसियों ने कहा है कि अल नीनो का असर दिसंबर 2023 के दौरान ऊपर रहा है, लेकिन 2024 के अगले 6 महीनों में इसके कमजोर होने का अनुमान है. यह भी कहा गया है कि अप्रैल-जून 2024 तक तक अलनीनो धीमा पड़ सकता है लेकिन असर बने रहने की आशंका है. 

2023 में फसल उत्पादन में 3 फीसदी की गिरावट 

देश में बीते साल अल नीनो के चलते दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर हो गया और इसका असर बड़े स्तर पर खरीफ फसलों के उत्पादन पर देखा गया. रिपोर्ट के अनुसार भारत का खरीफ उत्पादन 3 फीसदी तक गिर गया. मॉनसून में बारिश कम होने से जिन फसलों के उत्पादन पर में गिरावट देखी गई उनमें गन्ना, धान, मूंगफली और मूंग दाल प्रमुख रहीं. 

मौसम की बेरुखी ने रबी फसलों का रकबा घटाया 

वैश्विक मौसम अनुमान बताते हैं कि देश के कुछ हिस्सों में रबी फसलों को गर्म मौसम से बचाने की जरूरत होगी. इन फसलों में गेहूं, जौ, चना, मसूर, मटर और सरसों पर मौसम का असर दिख सकता है. इस बार गेहूं बुवाई का रकबा बढ़ गया है और उत्पादन में नए रिकॉर्ड छूने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि, बीते साल मौसम की बेरुखी को देखते हुए किसानों ने इस बार दालों और धान की बुवाई कम की है. इससे धान का रकबा 2022-23 सीजन में 29.33 लाख हेक्टेयर की तुलना में घटकर 28.25 लाख हेक्टेयर हो गया है. इसी तरह दाल बुवाई का रकबा पिछली बार 162.66 लाख हेक्टेयर था जो इस बार रबी बुवाई में घटकर 155.13 लाख हेक्टेयर रह गया है. 

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