
देश में रबी सीजन 2025-26 की बुवाई ने तेज रफ्तार पकड़ी हुई है. कृषि मंत्रालय ने इस हफ्ते बुवाई के ताजा आंकड़े जारी किए है. आंकड़ों के अनुसार, 21 नवंबर तक कुल 306.31 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि के 272.78 लाख हेक्टेयर के मुकाबले लगभग 33.53 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. सबसे ज्यादा बढ़त गेहूं की बुवाई में देखी जा रही है, जो रबी सीजन की प्रमुख खाद्यान्न फसल है और देश की खाद्य सुरक्षा में सबसे अहम फसल है.
इस बार अनुकूल मौसम, मिट्टी में नमी की स्थिति और किसानों का फसल चयन में स्पष्टता इस वृद्धि के मुख्य कारण मानें जा रहे हैं. ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल गेहूं का क्षेत्र 128.37 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि पिछले वर्ष इसी समय यह 107.09 लाख हेक्टेयर था यानी 21.27 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. किसान गेहूं की उत्पादन लागत और बाजार मूल्य के बेहतर संतुलन के चलते इसकी बुवाई में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं. साथ ही सरकार द्वारा समय पर बीज उपलब्धता और न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा ने भी रफ्तार को बढ़ावा दिया है.
इधर, रबी धान किस्मों की बुवाई में भी बढ़ोतरी देखी गई है. धान का रकबा 7.59 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.26 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया. मोटे अनाज यानी ‘श्री अन्न’ की बुवाई के आंकड़े भी सकारात्मक हैं. ज्वार, मक्का, रागी और छोटे मिलेट्स मिलकर कुल 19.69 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में बोए गए हैं, जो पिछले वर्ष के 17.26 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है.
वहीं, दालों में संतुलित और स्थिर बढ़त दर्ज की गई है. इस वर्ष अब तक कुल रबी सीजन दलहन रकबा 73.36 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले वर्ष के 68.15 लाख हेक्टेयर से 5.21 लाख हेक्टेयर अधिक है. इसमें चना की हिस्सेदारी सबसे मजबूत रही है, जिसमें अकेले 4.41 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दर्ज की गई है.
मसूर और फील्डपी ( मटर) में भी क्रमश: 0.44 और 0.78 लाख हेक्टेयर की वृद्धि देखने को मिली है. हालांकि उड़द, मूंग और खेसारी जैसी कुछ दाल फसलों में हल्की गिरावट दर्ज हुई है, लेकिन ओवरऑल बुवाई के आंकड़े सकारात्मक हैं.
इसके अलावा तिलहन फसलों में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. कुल तिलहन रकबा 72.69 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 76.64 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. इसमें सरसों सबसे बड़ी बढ़त वाली फसल रही, जिसने अकेले 4.22 लाख हेक्टेयर का इजाफा दर्ज किया है. दूसरी ओर मूंगफली और अलसी में हल्की कमी सामने आई है, लेकिन कुसुम और सूरजमुखी ने वृद्धि का संतुलन बनाए रखा है.