बाजार में कपास की बढ़ती आवक से CCI की MSP पर खरीद तेज, रेशे की क्वालिटी बनी बड़ी चुनौती

बाजार में कपास की बढ़ती आवक से CCI की MSP पर खरीद तेज, रेशे की क्वालिटी बनी बड़ी चुनौती

जैसे-जैसे कपास की आवक बढ़ रही है, कीमतें MSP से नीचे रहने के कारण CCI ने खरीद तेज कर दी है और दैनिक खरीद एक लाख बेल पार कर रही है. इस सीजन में अब तक 8 लाख बेल खरीदी जा चुकी है, लेकिन बेमौसम बारिश और फसल की खराब क्वालिटी उद्योग के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Nov 25, 2025,
  • Updated Nov 25, 2025, 12:06 PM IST

जैसे-जैसे बाजार में कॉटन की आवक बढ़ रही है, सरकारी कंपनी कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) की ओर से मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) पर इसकी खरीद तेज हो गई है. साथ ही, रोजना की खरीद एक लाख बेल (170 kg) के आंकड़े को पार कर गई है. ट्रेड के मुताबिक, सोमवार को बाजार में आवक दो लाख बेल को पार कर गई.

CCI के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर ललित कुमार गुप्ता ने कहा, "ओडिशा को छोड़कर, सभी कॉटन उगाने वाले राज्यों में खरीद शुरू हो गई है. पिछले शुक्रवार को, हमने एक दिन में 1 लाख बेल पार कर ली थी और इस सीजन में कुल मिलाकर लगभग 8 लाख पार कर ली है."

कमजोर डिमांड के बीच ग्लोबल प्राइस ट्रेंड की वजह से कीमतें MSP से नीचे बनी हुई हैं, इसलिए उम्मीद है कि CCI को MSP पर खरीद करके अपने मार्केट इंटरवेंशन के जरिए भारी काम करना होगा. प्राइवेट ट्रेड में कच्चे कॉटन (कपास) की कीमतें 6,500 रुपये और 7,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रही हैं, जो 8,100 रुपये के MSP से कम है. 

कॉटन के क्वालिटी की दिक्कतें

गुप्ता ने कहा, “उम्मीद है कि हमारी खरीद पिछले साल के लेवल को पार कर जाएगी क्योंकि कीमतों में बहुत बड़ा अंतर है.” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस साल क्वालिटी की दिक्कत ज्यादा है. पिछले साल, CCI ने 170 kg की 1 करोड़ से अधिक गांठें खरीदी थीं.

CCI ने लगभग 570 सेंटर खोले हैं, जिनमें से 400 चालू हैं. उन्होंने कहा कि हर दिन 15 सेंटर खुल रहे हैं.

इस साल बेमौसम और ज्यादा बारिश ने कपास की फसल की क्वालिटी पर असर डाला है, जबकि रकबा कम था क्योंकि किसानों का एक हिस्सा मक्का और तिलहन जैसी दूसरी फसलों की ओर चला गया था.

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के प्रेसिडेंट विनय एन कोटक ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, “आवक दिन-ब-दिन बढ़ रही है और CCI ने भी बड़ी मात्रा में खरीदना शुरू कर दिया है. कीमतें स्थिर हो जाएंगी क्योंकि CCI ने जोरदार खरीदारी शुरू कर दी है.”

कपास पर बारिश की मार

कोटक ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण पिछले साल की तुलना में अच्छी क्वालिटी का कपास कम हो रहा है, क्वालिटी को बहुत नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, “क्वांटिटी का नुकसान कम है, लेकिन क्वालिटी का नुकसान ज्यादा है और इस वजह से क्वालिटी के बीच का अंतर बढ़ता रहेगा.”

CAI ने हाल ही में 2025-26 की फसल का अनुमान 305 लाख गांठ (हर गांठ 170 kg) लगाया था, जो पिछले साल के 312.40 लाख गांठ से 2 परसेंट कम है.

रायचूर के एक सोर्सिंग एजेंट रामानुज दास बूब ने कहा, “इस साल क्वालिटी एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि सभी राज्यों में बहुत अंतर है.” उन्होंने कहा, “कमजोर धागे की मांग ने मिलों की खरीदारी कम कर दी है. खरीदार सही कीमत पर अच्छी क्वालिटी का कॉटन खरीदने को तैयार हैं, जबकि बड़ी मिलों ने इम्पोर्टेड कॉटन चुनकर अपनी पोजीशन कवर कर ली है.” 

उन्होंने कहा कि अच्छी क्वालिटी का कॉटन 356 kg की कैंडी के लिए 50,500-52,000 रुपये की रेंज में है, जबकि कम क्वालिटी का उत्पादन 47,500-49,000 रुपये के लेवल पर है.

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