रबी फसलों के लिए पूसा की एडवाइजरी, गेहूं की पछेती किस्मों की खेती के लिए सलाह

रबी फसलों के लिए पूसा की एडवाइजरी, गेहूं की पछेती किस्मों की खेती के लिए सलाह

रबी फसलों के लिए पूसा ने एडवाइजरी जारी की है कि वे कुछ खास किस्मों की खेती करें. साथ ही इस पूसा ने सलाह दी है कि किसान रबी फसलों में इन खास बातों का भी ध्यान दें. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूं की बुवाई जल्दी करें.

पूसा की एडवाइजरीपूसा की एडवाइजरी
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Dec 06, 2025,
  • Updated Dec 06, 2025, 5:48 PM IST

देश के अधिकांश हिस्सों में अगेती किस्मों की गेहूं की बुवाई अब पूरी हो गई है. लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी पछेती किस्मों की बुआई होना बाकी है. ऐसे में  जिन किसानों ने अभी तक बुवाई नहीं की है. उन किसानों के लिए पूसा ने एडवाइजरी जारी की है कि वे कुछ खास किस्मों की खेती करें. साथ ही इस पूसा ने सलाह दी है कि किसान रबी फसलों में इन खास बातों का भी ध्यान दें. दरअसल, अगले पांच दिनों के भीतर सिंचाई कर लें, क्योंकि मौसम शुष्क रहने की संभावना है. पूसा की ओर से दी गई सलाह में कहा गया है कि जिन किसानों की गेहूं की फसल 21-25 दिन की हो गयी हो, वे पहली सिंचाई करें. सिंचाई के 3-4 दिन बाद उर्वरक की दूसरी मात्रा डालें.

पछेती की इन किस्मों को उगाएं

तापमान को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे पछेती गेहूं की बुवाई जल्दी करें. इसके लिए बीज दर-125 किग्रा.प्रति हेक्टेयर रखें. साथ ही  एच. डी. 3059, एच. डी. 3237, एच. डी. 3271, एच. डी. 3369, एच. डी. 3117, डब्ल्यू. आर. 544, पी.बी.डब्ल्यू. 373 किस्मों की बुवाई से पहले बीजों को बाविस्टिन @ 1.0 ग्राम या थायरम @ 2.0 ग्राम प्रति किग्रा. बीज की दर से उपचारित करें, जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो किसान क्लोरपायरीफास (20 ईसी) @ 5.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से करें.

किसान इन बातों का रखें ध्यान

  • इसके अलावा देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण और खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें. औसत तापमान में कमी को मद्देनजर रखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें.
  • इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद और पोटाश उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें.
  • हवा में अधिक नमी के कारण आलू और टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. ऐसे में फसल की नियमित रूप से निगरानी करें. लक्षण दिखाई देने पर डाइथेन एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें.
  • जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, पत्ता गोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है, वह मौसम को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं.
  • गोभी वर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें यदि संख्या अधिक हो तो बी.टी. @ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पिनोसेड दवा @ 1.0 एम.एल./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
  • इस मौसम में किसान सब्जियों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करें, सब्जियों की फसल में सिंचाई करें और उसके बाद उर्वरकों का छिड़काव करें.
  • इस मौसम में मिलीबग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेगें, इसको रोकने के लिए किसान जमीन से 0.5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटे. तने के आस-पास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जायेंगे.
  • सापेक्षिक आर्द्रता के अधिक रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें.

पराली को लेकर किसानों को सलाह

किसानों को सलाह है कि खरीफ फसलों (धान) के बचे हुए अवशेषों (पराली) को न जलाएं, क्योकि इससे वातावरण में प्रदूषण ज्यादा होता है, जिससे स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियों की संभावना बढ जाती है. इससे उत्पन्न धुंध के कारण सूर्य की किरणें फसलों तक कम पहुंचती है, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है जिससे भोजन बनाने में कमी आती है. इस कारण फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता प्रभावित होती है. किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें इससे मिट्टी की उर्वकता बढ़ती है, साथ ही यह पलवार का भी काम करती है, जिससे मिट्टी से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होता है. 

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