गेहूं को पीला रतुआ और लूज स्मट से बचाना जरूरीदुनिया भर में, मक्का के बाद गेहूं दूसरी सबसे महत्वपूर्ण अनाज फसल है. हमारे देश भारत में भी गेहूं की उपज बड़े पैमाने पर होती है, और यह हमारी खेती की आर्थिक रीढ़ है. इसलिए, जब आप गेहूं की बुवाई (Sowing) कर रहे हों, तभी आपको आने वाले दिनों के लिए अपनी फसल को सुरक्षित रखने की योजना बना लेनी चाहिए. बीज का चुनाव और बुवाई के समय बीज उपचार (Seed Treatment) जैसे छोटे कदम, फसल को लूज स्मट, पीला रतुआ और अन्य कीटों से बचाने में मदद करते हैं, जिससे अंत में आपको बंपर उपज मिलती है.
गेहूं में लूज स्मट (Loose Smut) रोग का प्रकोप पिछले कुछ वर्षों में देश के कई हिस्सों में देखा गया है. यह एक बीजजनित रोग है, जिसका मतलब है कि इसके रोगाणु बीज के अंदर छिपे रहते हैं. जब फसल बड़ी होती है, तो बालियों में दाने की जगह काला चूर्ण या पाउडर भर जाता है, जिससे पूरा दाना नष्ट हो जाता है. इस रोग से बचने का सबसे आसान और असरदार तरीका है बुवाई से पहले बीज उपचार करना. किसानों को चाहिए कि वे बुवाई से पहले बीज को फफूंदनाशक दवा से उपचारित करके ही बोएं. ऐसा करने से यह रोग फसल में शुरू से ही नहीं पनपता.
पीला रतुआ (Yellow Rust) गेहूं की फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाले रोगों में से एक है. यह रोग अक्सर मौसम बदलने पर और जब फसल में दाने बनने का समय आता है, तब तेजी से फैलता है. इसकी पहचान करना बहुत आसान है: जब गेहूं के पत्ते पीले दिखें और उन्हें छूने पर हाथ में हल्दी जैसा पीला पाउडर लग जाए, तो समझिए पीला रतुआ का हमला शुरू हो गया है. किसान बुवाई के समय ही रोग प्रतिरोधी किस्में (Disease Resistant Varieties) चुनकर इसका खतरा कम कर सकते हैं. अगर रोग बाद में दिखे, तो टिल्ट (Tilt) या प्रोपिगार्ड (Propiguard) जैसी दवा का इस्तेमाल कृषि विशेषज्ञ की सलाह से तुरंत करना चाहिए.
फसल को सिर्फ रोगों से ही नहीं, बल्कि कीटों से भी बचाना जरूरी है. दीमक (Termite) खेत की मिट्टी में रहती है और बुवाई के शुरुआती दिनों में ही पौधों की जड़ों को खाकर नुकसान पहुंचा सकती है. दीमक से बचाव के लिए भी बीज उपचार के दौरान दवा का प्रयोग किया जाता है. इसके अलावा, तापमान बढ़ने के साथ ही तेला या माहू कीट (Aphid) का प्रकोप भी हो सकता है. इसकी रोकथाम के लिए एक तारा (Ektara) जैसे सही कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है.
अंत में, याद रखें कि बालियों में दूध भरने और दाने बनने का समय फसल के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसलिए इस दौरान खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखने के लिए समय पर सिंचाई करना बेहद जरूरी है. सही प्रबंधन से ही आप अपनी फसल की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं.
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