किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी फलों की खेती करके भी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कई राज्यों की सरकार भी समय-समय पर किसानों को बागवानी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की कल्याणकारी योजनाओं का संचालन करती है. किसान बागवानी की ओर अब ज्यादा रुख अपना रहे हैं. ऐसे में किसान चीकू की खेती करके साल भर अच्छा मुनाफा ले रहे हैं. अगर आज के समय में किसान सही तकनीक और वैज्ञानिक तरीके से चीकू की खेती करें तो एक एकड़ में अच्छा उत्पादन और लाखों का मुनाफा दोनों कमा हैं. एक एकड़ में किसानों को कम से कम 4 से 5 लाख मुनाफा हो सकता हैं. भारत में लगभग 65 हजार एकड़ में चीकू की बागवानी की जाती हैं. इसकी खेती करने वाले प्रमुख राज्यों में कर्नाटक, तामिलनाडु, केरल, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, आंध्रा प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात है.
चीकू में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, विटामिन ए, टैनिन, ग्लूकोज़ जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते है. इसीलिए इसका सेवन हमारे शरीर के लिए उपयोगी होता है. चीकू में एक खास तरह का मिठास वाला गुण होता है, इसका सेवन किसी भी बीमारी में फायदेमंद माना जाता है. बाज़ार में हमेशा चीकू की डिमांड बनी रहती है. इसे ध्यान में रकते हुए किसान अगर इसकी खेती करते हैं तो उन्हें साल भार अच्छी कमाई होगी.
कृषि वैज्ञानिक के अनुसार चीकू फल की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ मिट्टी कर सकते है, लेकिन उचित जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी को चीकू के फल की पैदावार के लिए सबसे अच्छा माना जाता है. इसके पौधों को हल्की लवणीय और क्षारीय भूमि में भी आसानी से उगा सकते है. चीकू की खेती करने के लिए खेत का पीएच मान 5.8 से 8 के बीच का होना चाहिए.
चीकू की खेती के लिए, अच्छी तरह से तैयार ज़मीन की आवश्यकता होती है. मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए 2-3 बार जोताई करके ज़मीन को समतल करें.
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देश में चीकू की कई किस्में प्रचलित हैं. उत्तम किस्मों के फल बड़े, छिलके पतले एवं चिकने और गूदा मीठा और मुलायम होता है. झारखंड क्षेत्र के लिए क्रिकेट बाल, काली पत्ती, भूरी पत्ती, पी.के.एम.1, डीएसएच-2 झुमकिया, आदि किस्में अति उपयुक्त हैं.
चीकू की व्यावसायिक खेती के लिये शीर्ष कलम तथा भेंट कलम विधि द्वारा पौधा तैयार किया जाता है. पौधा तैयार करने का सबसे उपयुक्त समय मार्च-अप्रैल है.
चीकू लगाने का सबसे उपयुक्त समय वर्षा ऋतु है. रोपाई के लिये गर्मी के दिनों में ही 7-8 मी. दूरी पर वर्गाकार विधि से 90 ग 90 ग से.मी. आकार के गड्ढे तैयार कर लेना चाहिए. गड्ढा भरते समय मिट्टी के साथ लगभग 30 किलोग्राम गोबर की अच्छी तरह सड़ी खाद, 2 किलोग्राम करंज की खली एवं 5-7 कि.ग्रा. हड्डी का चूरा प्रत्येक गड्ढे के दल से मिला कर भर देना चाहिये. एक बरसात के बाद जब गड्ढे के बीचों बीच लगा दें तथा रोपने के बाद चारों ओर की मिट्टी अच्छी तरह से दबा कर थाला बना दें.चीकू में रोपाई के दो वर्ष बाद फल मिलना प्रारम्भ हो जाता है. जैसे-जैसे पौधा पुराना होता जाता है. उपज में वृद्धि होती जाती है. एक 30 वर्ष के पेड़ से 2500 से 3000 तक फल प्रति वर्ष प्राप्त हो जाते है.