पंजाब की शान बासमती धान पर बाढ़ की मार, किसानों को 600 करोड़ का नुकसान

पंजाब की शान बासमती धान पर बाढ़ की मार, किसानों को 600 करोड़ का नुकसान

पंजाब बाढ़ ने किसानों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया है. यहां सबसे अधिक बासमती धान की खेती होती है जिसे बाढ़ ने पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. किसानों को लगभग 600 करोड़ का नुकसान है. इससे बासमती चावल के दाम में तेजी आने की भी आशंका है.

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कमलजीत संधू
  • Chandigarh,
  • Sep 05, 2025,
  • Updated Sep 05, 2025, 6:50 PM IST

पंजाब के सबसे पसंदीदा और कीमती बासमती धान को इस बार की विनाशकारी बाढ़ ने जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है. अपनी लंबी पतली बनावट, समृद्ध खुशबू और बेहतरीन स्वाद के लिए दुनियाभर में मशहूर बासमती धान इस बार चार दशकों की सबसे भीषण बाढ़ और भारी बारिश की चपेट में आ गया है.

अमृतसर, गुरदासपुर, तरनतारण और कपूरथला जैसे प्रमुख बासमती उत्पादक जिलों में खेतों का बुरा हाल है. अजनाला, रामदास और चोगावां ब्लॉक जैसे क्षेत्रों में तो 50% से अधिक खेत जलमग्न हो गए हैं.

71,000 एकड़ खेती को नुकसान

केवल अमृतसर जिले में ही शुरुआती सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार लगभग 71,000 एकड़ कृषि भूमि को नुकसान हुआ है, जिसमें सबसे ज्यादा नुकसान बासमती धान को हुआ है. पड़ोसी जिलों गुरदासपुर और पठानकोट में भी लगभग 50,000 एकड़ फसल भूमि प्रभावित हुई है. हालांकि, नुकसान का पूरा आकलन तो जलस्तर घटने के बाद ही हो पाएगा.

पंजाब, देश के बासमती चावल निर्यात का लगभग 40% हिस्सा देता है. लेकिन इस व्यापक बाढ़ ने हजारों एकड़ खेतों को जलमग्न कर दिया है.

बासमती एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव अशोक सेठी ने बताया कि पंजाब के बासमती किसान अभूतपूर्व नुकसान का सामना कर रहे हैं. उन्होंने अनुमान जताया कि लगभग 600 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है और निर्यात पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा उन्होंने कहा, “यह सीज़न जून में शुरू हुआ था और कटाई सितंबर में होनी थी. लेकिन कई क्षेत्रों में पूरी फसल बर्बाद हो चुकी है.”

निर्यात के लिए बासमती की खेती

स्थानीय किसान भी यही चिंता जाहिर कर रहे हैं. अमृतसर के किसान बलराज सिंह ने बताया कि बाढ़ का असर हर फसल पर पड़ा है, लेकिन बासमती किसान सबसे अधिक प्रभावित हैं क्योंकि उनकी फसल का बड़ा हिस्सा निर्यात के लिए तैयार किया जाता है. उन्होंने सरकार से राहत और सहायता की अपील की.

गुरदासपुर जिले में भी स्थिति गंभीर है. दीनानगर और दौलांगला ब्लॉक के किसान, जो बासमती की व्यापक खेती के लिए जाने जाते हैं, कड़ी आर्थिक तंगी में हैं. ज़मींदारों ने प्रति एकड़ 35,000–40,000 रुपये का निवेश किया था, लेकिन अब उनकी पूरी फसल नष्ट हो गई है. वहीं, पट्टे पर खेती करने वाले किसान कर्ज और किराया दोनों के बोझ से दबे हुए हैं — बिना किसी लाभ के.

बासमती के दाम में उछाल की आशंका

उत्पादन में भारी कमी आने की वजह से बासमती चावल की कीमतों में तेजी की आशंका जताई जा रही है, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और किसानों की आर्थिक परेशानी और बढ़ेगी.

पंजाब से बासमती विदेशों में एक्सपोर्ट होता है, अमेरिका, ईरान, इराक और ऑस्ट्रलिया के साथ साथ कई देशों में निर्यात किया जाता है. माझा के किसान ज्यादातर बासमती की पैदावार करते हैं. 

स्थानीय किसानों का दर्द बेहद गहरा है. जतिंदर सिंह ने बताया कि उनके क्षेत्र में अब भी 4–5 फीट पानी भरा है और करीब 400–500 एकड़ का इलाका पूरी तरह डूबा हुआ है, जो बासमती के लिए प्रसिद्ध है. इसी दौरान केंद्र सरकार की एक टीम ने पठानकोट पहुंच कर बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया.

जगतार सिंह, एक और परेशान किसान बताते हैं: “हमने 15 लाख रुपये खर्च किए थे, एक समृद्ध फसल की उम्मीद में, लेकिन अब सब कुछ तबाह हो गया है. हमें सरकार से मदद की उम्मीद है.”

पंजाब में सिर्फ पानी ही पानी

रेशम सिंह, एक युवा किसान कहते हैं: “हमने जमीन पट्टे पर ली थी, कर्ज भी लिया — और अब पूरी फसल ही बर्बाद हो गई है.” प्रीतम सिंह कहते हैं: “यह पूरा इलाका बासमती चावल के लिए जाना जाता था, लेकिन अब चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी है. मुझे उम्मीद है कि सरकार इस संकट को गंभीरता से लेगी और हमें इस स्थिति से उबारने में मदद करेगी.”

जहां नेता बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं, वहीं ज्यादातर किसान इस बात की आशा कर रहे हैं कि उनके नुकसान की सही गिनती हो, और सिर्फ आश्वासन नहीं, ठोस मदद मिले.

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