कृषि प्रधान भारत एक प्रमुख गेहूं उत्पादक देश है. पिछले रबी सीजन में रिकॉर्ड बुवाई के बाद इस साल देश में बंपर उत्पादन हुआ, जिसमें पुराने सभी रिकॉर्ड टूट गए. सर्दियों में बढ़े हुए तापमान के बावजूद देशभर में अच्छी फसल हुई थी. अब इसी क्रम को बनाए रखने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. वहीं, अब जल्द ही खरीफ सीजन खत्म होने के बाद रबी सीजन की बुवाई का समय आने वाला है. ऐसे में सरकार की ओर से पहले ही गेहूं किसानों को अच्छी किस्म अपनाने की सलाह दी जा रही है, जो समय पर बुवाई के लिए उपयुक्त है और ज्यादा तापमान सहने की क्षमता भी रखती है. जानिए इस किस्म के बारे में…
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) किसानों को रबी सीजन में पूसा व्हीट क्रांति (HI-1669) किस्म की खेती की सलाह दे रहा है. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र, इंदौर ने बनाया है. यह किस्म विशेष रूप से समय पर बोई गई सिंचित जमीन के लिए उपयुक्त है. आईसीएआर ने बताया है कि इस किस्म की औसत उपज 59.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो किसानों की आय में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी कर सकती है. पूसा व्हीट क्रांति केवल 119 दिनों 82 से 136 दिन में पककर तैयार हो जाती है.
यह किस्म तना झुलसा, पत्ती झुलसा, कर्नाल बंट, लीफ ब्लाइट और फ्लैग स्मट जैसी प्रमुख बीमारियों और कीटों के प्रति प्रतिरोधी है. साथ ही गर्मी के प्रति सहिष्णुता का सूचकांक 0.85 होने के कारण यह गर्म इलाकों में भी अच्छी पैदावार देने में सक्षम है.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पूसा व्हीट क्रांति (HI-1669) किस्म मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग), पश्चिमी उत्तर प्रदेश और झांसी डिवीजन में उगाए जाने के लिए विशेष रूप से अनुशंसित है. इस नई किस्म को अपनाकर किसान अपनी फसल की उपज और आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं.
वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान खरीफ सीजन की शुरुआत में विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA) चलाने के बाद अब रबी सीजन में भी इसे चलाने की तैयारी में हैं. इस अभियान के तहत देशभर के हजारों कृषि वैज्ञानिक गांव-गांव और खेत-खेत पहुंचकर किसानों से बातचीत करते हैं और उनकी समस्या सुन उनका समाधान बताते हैं.
साथ ही नवाचार बताने वाले किसानों की बातों को भी नोट करते हैं, बाद में अगर ये कारगर पाए जाते हैं तो इन्हें अन्य किसानों तक पहुंचाने का काम किया जा सके. शिवराज सिंह चौहान के मुताबिक, रबी सीजन के लिए 3 अक्टूबर से यह अभियान चलाया जाएगा और उत्पादन को बढ़ावा देने का काम किया जाएगा.