पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बाद अब बारिश और बाढ़ ने कश्मीर घाटी में जमकर तबाही मचाई है. कश्मीर घाटी में आई बाढ़ ने खेती-बाड़ी और बागवानी क्षेत्र को गहरी चोट पहुंचाई और किसानों को बड़ा नुकसान हुआ है. लगातार बारिश और नदी-नालों में बढ़ते जलस्तर के कारण धान के खेत, सेब के बागान और बाकी फसलें जलमग्न हो गई हैं. हजारों किसानों की साल भर की मेहनत कुछ ही दिनों में तबाह हो गई, जिससे उनकी आजीविका पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है.
कश्मीर न्यूज ऑब्वजर्वर की रिपोर्ट के अनुसार धान की फसल, जो कटाई के बिल्कुल करीब थी, पूरी तरह पानी में डूब गई. किसानों के मुताबिक इस साल की मेहनत अब पूरी तरह से बेकार हो गई है.अवंतिपोरा के किसान गुलाम मोहम्मद ने बताया, 'हमारे खेत पूरी तरह डूब गए हैं. यह बाढ़ पिछले एक दशक में देखी गई किसी भी आपदा से ज्यादा विनाशकारी है. धान की फसल जो तैयार थी, सब बह गई.' केवल धान ही नहीं, बल्कि घाटी की सबसे अहम कृषि संपत्ति, सेब के बागानों पर भी इसका असर पड़ा है और वो भी बुरी तरह प्रभावित हैं. अनंतनाग के बाग मालिक शबीर अहमद ने कहा, 'सेब पकने ही वाले थे लेकिन अब सब बर्बाद हो गए. पेड़ पानी में भीग गए और ज्यादातर फल गिर गए हैं. यह हमारे लिए बड़ा नुकसान है.'
बाढ़ के कारण केवल फसलें ही नहीं, बल्कि कई ग्रामीण ढांचे और गोदामों पर भी असर पड़ा है. इससे उन परिवारों की मुश्किलें बढ़ गई हैं जिनकी आजीविका पूरी तरह खेती पर निर्भर है.किसान अब भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं. उनका कहना है कि न तो अगली फसल की तैयारी के लिए पर्याप्त साधन बचे हैं और न ही इस साल की आय का कोई सहारा. कई किसान इस आपदा की तुलना 2014 की विनाशकारी बाढ़ से कर रहे हैं जिसने घाटी के बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था. उस समय जम्मू-कश्मीर सरकार ने प्रभावित परिवारों को आर्थिक मदद और मुआवजा दिया था. आज किसान उसी तरह की मदद की उम्मीद कर रहे हैं. स्थानीय किसान महमूद अली ने कहा, '2014 में सरकार ने राहत और मुआवजे का वादा किया था. आज फिर हम उसी तरह की मदद चाहते हैं. अगर सरकार तब सहायता कर सकती थी तो अब क्यों नहीं?'
प्रशासन ने घाटी में नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है. अधिकारियों ने बताया कि जल्द ही एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को भेजी जाएगी और उसके बाद राहत और मुआवजे पर फैसला लिया जाएगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'हम नुकसान से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं. जैसे ही आकलन पूरा होगा, रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी और उसके अनुसार राहत उपाय लागू किए जाएंगे.' इस समय घाटी के किसानों की सबसे बड़ी उम्मीद सरकार से मिलने वाली मदद है. उनका कहना है कि अगर जल्द मुआवजा नहीं दिया गया तो उनकी आजीविका पर स्थायी संकट आ सकता है. खासकर धान और सेब जैसी नकदी फसलों पर हुए नुकसान की भरपाई करना अकेले उनके लिए संभव नहीं है.
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