Palm Oil Import: पाम ऑयल के आयात ने बनाया र‍िकॉर्ड, भारतीय क‍िसानों को होगा बड़ा नुकसान 

Palm Oil Import: पाम ऑयल के आयात ने बनाया र‍िकॉर्ड, भारतीय क‍िसानों को होगा बड़ा नुकसान 

उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्य तेल ख‍िलाने के नाम पर एक तरफ हम पाम ऑयल के रूप में बहुत ही न‍िम्न स्तर का खाद्य तेल ख‍िला रहे हैं तो दूसरी ओर जो पैसा अपने क‍िसानों की जेब में पहुंचाकर यहां पर त‍िलहन फसलों की खेती बढ़ानी चाह‍िए थी उसे हम इंडोनेश‍िया, मलेश‍िया, रूस, यूक्रेन और अर्जेंटीना को दे रहे हैं: क‍िसान महापंचायत  

भारत में बढ़ रहा है पाम ऑयल का आयात. (Photo-Ministry of Agriculture)   भारत में बढ़ रहा है पाम ऑयल का आयात. (Photo-Ministry of Agriculture)
ओम प्रकाश
  • New Delhi ,
  • Aug 15, 2023,
  • Updated Aug 15, 2023, 4:07 PM IST

जुलाई में भारत का पाम ऑयल आयात पिछले महीने से 59 परसेंट बढ़कर 1.08 मिलियन मीट्रिक टन की र‍िकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. यही नहीं यह इंपोर्ट प‍िछले सात महीनों में सबसे अधिक है, क्योंकि रिफाइनर कम कीमतों का फायदा उठाकर त्योहारों के ल‍िए स्टोर कर रहे हैं. भारत दुन‍िया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है. सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क घटाकर नाम मात्र कर द‍िया है. इससे खाद्य तेल कारोबार‍ियों को भारतीय क‍िसानों को अच्छा दाम देने की बजाय आयात करना सस्ता पड़ रहा है. साल दर साल आयात बढ़ रहा है. ज‍िससे कहीं न कहीं भारतीय क‍िसानों को नुकसान पहुंच रहा है. जबक‍ि हमारी आयात वाली नीतियों की वजह से दूसरे देशों के क‍िसानों को लाभ पहुंच रहा है. 

खाद्य तेलों का आयात क‍ितनी तेजी से बढ़ा है, आप इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं. साल 2017-18 में भारत ने 74,996 करोड़ रुपये का खाद्य तेल आयात क‍िया था, जो 2021-22 में बढ़कर 1,41,532 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. मौजूदा साल में आयात ज‍िस तरह से तेजी से बढ़ रहा है उससे तो यही लग रहा है क‍ि आयात ब‍िल का यह र‍िकॉर्ड भी टूटने वाला है. क्योंक‍ि सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने एक बयान में कहा है क‍ि 31 अक्टूबर को समाप्त होने वाले मार्केट‍िंग वर्ष 2022-23 में देश का कुल खाद्य तेल आयात रिकॉर्ड 15.5 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. 

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क‍िसानों को सीधे तौर पर पड़ रही चोट 

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट का कहना है क‍ि उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्य तेल ख‍िलाने के नाम पर एक तरफ हम पाम ऑयल के रूप में बहुत ही न‍िम्न स्तर का खाद्य तेल ख‍िला रहे हैं तो दूसरी ओर जो पैसा अपने क‍िसानों की जेब में पहुंचाकर यहां पर त‍िलहन फसलों की खेती बढ़ानी चाह‍िए थी उसे हम इंडोनेश‍िया, मलेश‍िया, रूस, यूक्रेन और अर्जेंटीना को दे रहे हैं. आयात न क‍िसानों के ह‍ित में है न इकोनॉमी के और न लोगों की सेहत के ल‍िए अच्छा है. आयात वाली नीत‍ियां भारत में त‍िलहन की खेती को बर्बाद कर रही है. इसी वजह से क‍िसानों को अपनी फसलों का सही दाम नहीं म‍िल रहा है. आयात ज‍ितना बढ़ रहा है उतना ही भारतीय क‍िसानों को नुकसान पहुंच रहा है. सरसों और सोयाबीन का दाम पहले के मुकाबले काफी घट गया है. 

कारोबार‍ियों का क्या है तर्क? 

हालांक‍ि, अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के अध्यक्ष शंकर ठक्कर खाद्य तेलों का आयात बढ़ने के पीछे कुछ और ही तर्क दे रहे हैं. उन्होंने 'क‍िसान तक' से कहा क‍ि हर साल भारत में प्रत‍ि व्यक्त‍ि खाद्य तेलों की खपत बढ़ रही है. इसल‍िए आयात बढ़ रहा है. क्योंक‍ि हम अपनी जरूरतों को घरेलू उत्पादन से पूरा करने की स्थ‍ित‍ि में नहीं हैं. रही बात जुलाई में आयात बढ़ने की तो इस महीने में ऐसा हर साल होता है. क्योंक‍ि अब द‍िवाली तक ज‍ितने त्यौहार आ रहे हैं उसके ल‍िए कारोबारी पहले से ही स्टॉक करके खाद्य तेल रख रहे हैं.

जुलाई में खाद्य तेलों का आयात त्योहारों के मौसम के चलते बढ़ जाता है. क्योंकि डिमांड भी काफी बढ़ती है. आयात बढ़ेगा तो दामों पर अंकुश बना रहेगा. भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि यह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल आयात करता है. 

र‍िकॉर्ड खाद्य तेल आयात की उम्मीद 

डीलरों ने कहा कि जुलाई में भारत का खाद्य तेल आयात बढ़कर रिकॉर्ड 1.76 मिलियन टन हो गया, क्योंकि रिफाइनर्स ने काला सागर से आपूर्ति पर अनिश्चितता को देखते हुए आगामी त्योहारों के लिए स्टॉक तैयार करना है. जबक‍ि एक वैश्विक व्यापार घराने के मुंबई स्थित डीलर ने कहा कि कच्चे पाम तेल की कीमतों में कच्चे सोया तेल की तुलना में छूट 150 डॉलर प्रति टन से अधिक हो गई है, जिससे रिफाइनर पाम तेल पर स्विच करने के लिए प्रेरित हुए हैं. यह ट्रेंड आने वाले महीनों में भी जारी रह सकता है.

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