प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने के बाद किसान और व्यापारी दोनों गुस्से में हैं. खासतौर पर किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने 2 लाख टन और प्याज की खरीद करने का दांव चल दिया. दाम रखा गया 2410 रुपये प्रति क्विंटल. सरकार ने लगे हाथ यह भी दावा कर दिया कि यह ऐतिहासिक दाम है. लेकिन, जमीन पर इसका कुछ खास असर नहीं हुआ. नतीजा यह है कि राज्य की मंडियां तीसरे दिन भी बंद रहीं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि किसानों को रिझाने के लिए सरकार ने जिस सरकारी खरीद को अपना सबसे बड़ा दांव बनाया वो कारगर क्यों नहीं दिख रहा है. इसका फैक्ट चेक करने पर पता चलता है कि इससे ज्यादा दाम तो मंडियों में ही किसानों को मिल रहा है. महाराष्ट्र में ही सुपर क्वालिटी के प्याज का दाम 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है. अधिकांश मंडियों में नफेड के दाम से ज्यादा ही भाव चल रहा है.
नफेड सुपर क्वालिटी के प्याज पर ही 2410 रुपये क्विंटल का दाम देगा. जबकि इस गुणवत्ता के प्याज का दाम बाजार में 2500 से लेकर 4500 रुपये तक मिल रहा है. ऐसे में भला सरकार का नफेड वाला यह दांव फेल साबित होगा या नहीं? आप खुद अंदाजा लगाईए. एक्सपोर्ट ड्यूटी लगने से पहले ही एनसीसीएफ और नफेड मिलकर बफर स्टॉक के लिए 3 लाख टन प्याज खरीद चुके हैं. लेकिन दाम तय करने का उसका फार्मूला रहस्यमय है. उसे नफेड डिस्क्लोज करने के लिए राजी नहीं है. साथ ही महाराष्ट्र के किसान लगातार यह सवाल भी उठा रहे हैं कि नफेड क्यों नहीं मंडियों में आकर सीधे किसानों से खरीद करता है. ये तो रही पारदर्शिता की बात. लेकिन असल मुद्दा यह है कि क्या 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज की खरीद से किसानों को फायदा होगा?
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दरअसल, किसानों को नफेड और एनसीसीएफ को प्याज बेचने से अधिक फायदा मंडी में बेचने से दिखाई दे रहा है. दूसरी ओर, सरकारी खरीद को आंकड़ों की कसौटी पर कसेंगे तो इनती छोटी सी खरीद झुनझुना लगती है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार साल 2022-23 में 310 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन हुआ है. अब अगर सरकार इसमें से कुल 5 लाख टन प्याज खरीद लेती है तो यह देश के उत्पादन का 2 परसेंट भी नहीं हुआ.
ऐसे में इसका फायदा कितने किसानों तक पहुंचेगा यह बड़ा सवाल है. दूसरी बात यह है कि पिछले साल हमने 25.23 लाख मीट्रिक टन प्याज का एक्सपोर्ट किया था. अब 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगने के बाद इस साल एक्सपोर्ट न के बराबर रह जाने का अनुमान है. मतलब एक तरह से 25 लाख टन के एक्सपोर्ट पर डंडा चलाकर आप 2 लाख टन खरीद का तोहफा दे रहे हैं.
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल तर्क दे रहे हैं कि किसानों को एक्सपोर्ट होने वाले प्याज का अधिकतम दाम 18-19 रुपये किलो ही मिल रहा है और हम 24 रुपये से अधिक दाम पर खरीद रहे हैं. हम तो किसान का फायदा करवा रहे हैं. लेकिन दूसरी ओर घरेलू बाजार में ही किसानों को इससे अधिक दाम मिल रहा है. सोमवार 21 अगस्त को जब सरकार के फैसले के खिलाफ नासिक में मंडियों को बंद करवाया गया था उसी दिन का राज्य की दूसरी मंडियों का भाव नफेड के 2410 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक था. महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के नुमाइंदे ने हमें दाम का जो ब्यौरा दिया है वो साफ करता है कि आखिर क्यों किसानों को 2410 रुपये प्रति क्विंटल के दर पर 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज की खरीद मंजूर नहीं है.
(सोर्स: महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड. 21/08/2023)
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