देश में प्याज उत्पादन का गढ़ माने जाने वाले नासिक में सरकारी नीतियों के खिलाफ व्यापारियों की हड़ताल नौवें दिन भी जारी है. व्यापारी और किसान सरकार पर जान बूझकर दाम गिराने का आरोप लगा रहे हैं. इस बीच यह जानना बहुत जरूरी है कि महाराष्ट्र में किसानों को प्याज का कितना भाव मिल रहा है. कुछ बाजारों में किसानों को इसका अधिकतम दाम 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है, लेकिन कुछ में अब भी 100 से 500 रुपये क्विंटल का भाव चल रहा है. सोलापुर में आज भी प्याज़ का न्यूनतम दाम 1 रुपये किलो है. छत्रपति संभाजी नगर में मिनिमम प्राइस 3 रुपये किलो चल रहा है. इतने दिनों से मंडी बंद है इसलिए महाराष्ट्र सरकार परेशान है. हो सकता है कि वो प्याज बेचने का कोई और रास्ता निकाले. लेकिन उसके लिए दिक्कत ये है कि किसानों का भी व्यापारियों को समर्थन मिल रहा है.
किसान सरकार से सवाल कर रहे हैं कि देश में क्या किसी उपभोक्ता को इतने कम दाम पर प्याज मिल रहा है. अगर दाम डबल भी कर दें तो क्या किसी को 2 रुपये या 6 रुपये किलो प्याज मिला है. जिस प्याज का हमें 5 रुपये बेच रहे हैं क्या वो उपभोक्ताओं को 10 रुपये किलो पर भी मिल रहा है. उपभोक्ता के घर से 10 रुपये किलो के भाव पर चला प्याज बड़े शहरों में पहुंचकर 40 रुपये कैसे हो जा रहा है सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. जो लोग बेवजह दाम बढ़ा रहे हैं उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन, किसानों को उनकी लागत से अधिक दाम मिलना चाहिए.
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महाराष्ट्र के प्याज किसानों और व्यापारियों का आरोप है कि प्याज पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने और नेफेड, एनसीसीएफ (National Cooperative Consumers Federation of India) द्वारा बाजार भाव से कम दाम पर देश की दूसरी मंडियों में प्याज बेचने की वजह से दाम गिर गया है. किसानों का आरोप है कि एनसीसीएफ ई-नाम के प्लेटफार्म पर भी प्याज बेच रहा है. जिसका नुकसान किसानों को हो रहा है. प्याज उत्पादक संगठन, महाराष्ट्र के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि जब भी सरकार प्याज के बारे में कोई फैसला लेती है वो किसान संगठनों से कभी बात नहीं करती. जानबूझकर प्याज का दाम गिराकर किसानों का नुकसान किया जा रहा है. आजादी के 75 साल बीत गए लेकिन अब तक प्याज को लेकर कोई पॉलिसी सरकार ने नहीं बनाई है. इसकी वजह से ही आज प्याज किसानों को कोई दाम नहीं मिल रहा है.
(Source: Maharashtra State Agricultural Marketing Board)
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