आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पिछले कुछ दिनों में प्याज की कीमतों में गिरावट की खबरों को ध्यान में रखते हुए सोमवार को राज्य के मार्केटिंग ऑफिशियल्स को प्याज के लिए 1200 रुपये प्रति क्विंटल की फायदेमंद कीमत सुनिश्चित करने का आदेश दिया है. नायडू ने राज्य सचिवालय में संबंधित अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की है. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्याज की कीमतें 1,200 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे नहीं आनी चाहिए.
एक सरकारी बयान के अनुसार, मुख्यमंत्री ने घोषणा की, 'अगर किसान निजी व्यापारियों को 1,200 रुपये प्रति क्विंटल से कम कीमत पर अपना प्याज बेचते हैं तो सरकार उन्हें नुकसान की भरपाई के लिए अंतर की राशि का भुगतान करेगी.' इस मामले से वाकिफ लोगों की मानें तो प्याज की खेती करने वाले किसानों के बीच गंभीर संकट पैदा हो गया है. एक तरफ प्याज की कीमतें कम हो रही हैं तो वहीं उन्हें कोई भी लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है.
आंध्र प्रदेश की सबसे बड़ी प्याज मंडी कुरनूल में सैकड़ों क्विंटल प्याज जमा हो गया है. 31 अगस्त से प्याज की खरीद शुरू करने वाले एपी मार्केटिंग फेडरेशन (मार्कफेड) ने स्टॉक जमा होने के कारण खरीद बंद कर दी है. इसकी वजह से किसान अब पूरी तरह से प्राइवेट ट्रेडर्स पर निर्भर हैं. आंध्र प्रदेश में प्याज की खेती के प्रमुख केंद्र कुरनूल में एक प्याज विक्रेता कोंडप्पा के हवाले से अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा है, 'प्याज जल्दी खराब होने वाली वस्तु है इसलिए किसान इसे व्यापारियों को 300 से 600 रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हैं जो बदले में इसे खुले बाजार में 2500 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेच रहे हैं.'
उन्होंने बताया कि सरकार ने 1,200 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित की है लेकिन किसानों को वह दर नहीं मिल रही है. कुरनूल के एक और किसान थिम्मन्ना के अनुसार, पिछले साल प्याज की कीमत 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा थी.
उन्होंने कहा कि पिछले साल कीमतें बहुत अच्छी थीं और काफी किसानों को फायदा हुआ. इसलिए किसानों ने इस साल ज्यादा फसल बो दी और इस बार बंपर फसल हुई. किसान खेतों में बेचने के बजाय सीधे बाजार में उपज ले आए. कुरनूल मार्केट यार्ड सचिव जयलक्ष्मी ने कहा, '6 सितंबर को 16,000 क्विंटल प्याज कुरनूल बाजार में लाया गया था, स्टॉक जमा हो गया है.'
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