भारत सरकार द्वारा निर्यात पर बैन लगाने से कई देशों में प्याज की किल्लत हो गई है. खबर है कि इंडोनेशिया ने निर्यात पर प्रतिबंध के बीच भारत से 900000 टन प्याज की मांग की है. इंडोनेशिया भारत के अलावा अमेरिका और न्यूजीलैंड से भी बड़ी मात्रा में प्याज का आयात करता है. खास बात यह है कि ग्लोबल मार्केट में उत्पादन के मामले में भारत की हिस्सेदारी लगभग एक चौथाई है. यह नीदरलैंड और मैक्सिको के बाद सबसे बड़ा निर्यातक है.
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, चालू वित्तीय वर्ष के अप्रैल-अक्टूबर में, भारत ने 1.4 मिलियन टन प्याज का निर्यात किया है. इसमें से 36,146 टन प्याज इंडोनेशिया को दिया गया है. वित्त वर्ष 23 की इसी अवधि के दौरान, इसने 1.35 मिलियन टन किचन स्टेपल का निर्यात किया. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय व निर्यातकों के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 में, भारत का प्याज निर्यात कुल 2.5 मिलियन टन था, जिसमें इंडोनेशिया का 116,695 टन भी शामिल है.
दरअसल, पिछले साल अक्टूबर के बाद प्याज अचानक महंगा हो गया था. 30 से 35 रुपये किलो बिकने वाले प्याज की कीमत 60 से 70 रुपये हो गई थी. ऐसे में प्याज की कीमत को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार को निर्यात पर बैन लगाना पड़ा. हालांकि, निर्यात पर बैन लगाने के बाद कीमतों में गिरावट आई है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बुधवार को प्याज की औसत खुदरा कीमत 41.12 प्रति किलोग्राम थी, जो पिछले वर्ष की तुलना में 49.6 प्रतिशत अधिक है.
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खास बात यह है कि इस बार देश में किसानों ने कम रकबे में प्याज की रोपाई की है. सबसे बड़े प्याज उत्पाद राज्य महाराष्ट्र में किसानों ने इस साल करीब 8,09,000 हेक्टयर में प्याज की बुवाई की है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 9,46,000 हेक्टेयर था. यानी प्रदेश में प्याज की रकबे में 1,37,000 हेक्टेयर की गिरावट आई है. इसी तरह दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य कर्नाटक में प्याज के रकबे में गिरावट आई है. कहा जा रहा है कि बेमौसम बारिश और खेती में घाटा लगने की वजह से किसान दूसरी फसल की तरफ रूख कर रहे हैं.
सरकार के प्रारंभिक आकलन के अनुसार, देश में पिछले रबी सीजन के दौरान 24.6 मिलियन टन प्याज का उत्पादन हुआ था. जबकि, औसत मासिक घरेलू खपत 1.4-1.7 मिलियन टन थी. वहीं, फसल वर्ष 2022-23 में 30 मिलियन टन प्याज का उत्पादन हुआ था.
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