आंध्र प्रदेश सरकार ने प्याज की गिरती कीमतों को देखते हुए कर्नूल जिले के किसानों को राहत देने के लिए 1,200 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद शुरू कर दी है. राज्य का प्रमुख प्याज व्यापार केंद्र कर्नूल एग्रीकल्चरल मार्केट यार्ड अब प्याज की आवक के साथ फिर से खरीद-बिक्री के लिए सक्रिय हो गया है. यहां बड़े पैमाने पर प्याज की खरीद-बिक्री होती है.
कुछ दिन पहले ही किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था, जब भारी बारिश, कमजोर निर्यात मांग और बहुत अधिक उत्पादन के चलते प्याज की कीमतें गिरकर 200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थीं.
गुडूरु के बोया पोंनाकल्लु नायडू ने बताया, "मेरे साले मड्डिलेटी ने पिछले हफ्ते 75 क्विंटल प्याज सड़क किनारे फेंक दिए क्योंकि उन्हें उपज का उचित मूल्य नहीं मिला. वो बेहद निराश होकर घर लौटे."
उन्होंने आगे कहा, "आज मैंने 35 क्विंटल प्याज 1,200 रुपये एमएसपी पर बेचे. भले ही इससे मुनाफा नहीं हुआ, लेकिन इस कीमत ने मुझे कर्ज से बचा लिया."
बाजार मूल्य बेहद कम होने और परिवहन लागत अधिक होने के कारण कई किसानों ने अपनी फसल काटी ही नहीं. येमिगनूर मंडल के कडिमेटला गांव के गोल्ला रामचंद्र ने भी इसी तरह की कहानी साझा की.
उन्होंने बताया कि उन्होंने दो एकड़ में प्याज की खेती पर 1 लाख रुपये से अधिक निवेश किया और बुधवार को 90 क्विंटल प्याज मंडी में लाए.
"यह सिर्फ लागत निकलने जैसी स्थिति है, मुनाफा नहीं. लेकिन इस सरकारी समर्थन से बड़ा नुकसान टल गया. मेरी उम्मीद है कि सरकार तब तक एमएसपी योजना जारी रखेगी जब तक कीमतें सामान्य नहीं हो जातीं," उन्होंने कहा.
इसी बीच, उचलाला गांव के जी. सोमन्ना ने सरकार से अनुरोध किया कि क्वालिटी के आधार पर एमएसपी को 1,300 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाया जाए.
मार्केट यार्ड की सचिव आर. जया लक्ष्मी ने TNIE से बात करते हुए बताया कि MARKFED के हस्तक्षेप के चलते 31 अगस्त से अब तक 10,401 क्विंटल प्याज की खरीद की जा चुकी है. बुधवार को अधिकतम मूल्य 1,215 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे अपनी फसल की ग्रेडिंग ठीक से करें और जल्दी कटाई से बचें ताकि बेहतर दाम मिल सके. खरीदे गए प्याज को रायतू बाजार, राशन की दुकानों और सरकारी संस्थानों में भेजा जा रहा है.
बागवानी विभाग के संयुक्त निदेशक पी. रामांजनयुलु ने बताया कि इस खरीफ सीजन में 35,000–40,000 एकड़ में प्याज की खेती हुई है, जिसमें से लगभग 30% फसल की कटाई हो चुकी है.
उन्होंने चेतावनी दी कि इस महीने के अंत तक यदि बड़े पैमाने पर कटाई होती है, तो कीमतों में और गिरावट आ सकती है. प्याज व्यापारी के. श्रीनिवासुलु ने भी इस पर चिंता जताई और कहा कि निर्यात में गिरावट और उचित भंडारण की कमी ने किसानों को संकट में डाला है. ऐसे में एमएसपी योजना उनके लिए जीवन रेखा बनी हुई है.