मौजूदा वक्त में देश के बहुत सारे किसान पारंपरिक फसलों की खेती से आगे बढ़कर सब्जियों की खेती कर रहे हैं और अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. अगर आप एक किसान हैं और अपनी आमदनी को बढ़ाना चाहते हैं, तो पारंपरिक फसलों के साथ-साथ सब्जियों की खेती कर सकते हैं. मौजूदा वक्त में कई ऐसी सब्जियां हैं जिनकी खेती पूरे साल होती है. इन्हीं में से कद्दूवर्गीय सब्जी लौकी भी एक है. जिसकी पूरे साल में जायद, खरीफ और रबी तीनों सीजन में खेती की जाती है. हालांकि, खेती करने से पहले किसानों के लिए सबसे अहम सवाल यह होता है कि लौकी की किस किस्म की खेती करें जिससे ज्यादा से ज्यादा उपज मिल सके और नुकसान नहीं हो.
ऐसे में अगर आप भी लौकी की एक ऐसे ही किस्म की तलाश कर रहे हैं जिससे अधिक उपज मिल सके तो आप पूसा नवीन की खेती कर सकते हैं. आइए इस किस्म की खासियत के बारे में बताते हैं-
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित लौकी की उन्नत किस्म पूसा नवीन खेती करने के लिए बहुत अच्छी किस्म है. इसकी खेती जायद और खरीफ दोनों सीजन में आसानी से की जा सकती है. इसके फल 30-40 सेमी लंबे और सीधे होते हैं. वहीं अगर खेत से मंडी दूर है तो भी परिवहन के दौरान इस किस्म के फल जल्दी खराब नहीं होते हैं. इस किस्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी पहली तुड़ाई 55 दिन में हो जाती है.
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मौजूदा वक्त में लगभग सारी चीजें ऑनलाइन मिल जा रही हैं. आप लौकी की उन्नत किस्म पूसा नवीन के बीज को भी आप ऑनलाइन माध्यम से घर मांगा सकते हैं. इसके लिए आपको सिर्फ पोर्टल पर विजिट कर मांगी गई जानकारी को भरने के साथ ही पेमेंट करना पड़ेगा. 100 ग्राम बीज की कीमत महज 41.2 रुपये है.
लौकी की खेती लगभग देश के किसी भी क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है. लौकी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि की आवश्यकता होती है, क्योंकि खेत में ज्यादा देर तक पानी ठहरने पर फसल खराब हो जाती है. वही इसकी सफल खेती के लिए हल्की दोमट भूमि सर्वोत्तम मानी जाती है. यह पाले को सहन करने में बिल्कुल असमर्थ होती है. इसकी खेती में 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास का तापमान काफी अच्छा माना जाता है.
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लौकी की फसल बहुत जल्दी रोगों का शिकार हो जाती है. वही लौकी की फसल में प्रमुख रूप से चुर्णी फफूंदी, उकठा (म्लानि), फल मक्खी और लाल कीड़ा जैसे रोगों का ज्यादातर प्रकोप देखा जाता है. लौकी की जड़ों से लेकर बाकी हिस्सों में भी कीटों के लगने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में किसान को इन कीटों एवं रोगों से अपनी फसल को बचाने के लिए एग्रीकल्चर एक्सपर्ट की सलाह पर कीटनाशक या रासायनिक खाद का इस्तेमाल करके फसल की देखभाल करनी चाहिए.