खरीफ फसलों पर बारिश का कहर, सोयाबीन और तिल की बुआई में गिरावट

खरीफ फसलों पर बारिश का कहर, सोयाबीन और तिल की बुआई में गिरावट

मध्य प्रदेश में अत्यधिक बारिश से खरीफ की बुआई में 1% की गिरावट आई है, सोयाबीन और कपास प्रभावित हैं, जबकि मक्का और उड़द की खेती में बढ़ोतरी हुई है. जुलाई में हुई भारी बारिश ने एमपी की खरीफ फसलों को नुकसान पहुंचाया है, सोयाबीन कम हुआ है और मक्का-उड़द की बुआई में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है.

खरीफ फसलों की बुवाई में गिरावटखरीफ फसलों की बुवाई में गिरावट
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 11, 2025,
  • Updated Sep 11, 2025, 12:40 PM IST

मध्य प्रदेश, जो देश में मक्का और तिल का सबसे बड़ा उत्पादक है, और सोयाबीन, सूरजमुखी (नाइगर), और उड़द के उत्पादन में शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है, इस बार बारिश की वजह से कुछ मुश्किलों का सामना कर रहा है. अब तक (10 सितंबर तक) राज्य में सामान्य से 23% अधिक बारिश हो चुकी है. इस साल जून में अच्छी बारिश हुई, लेकिन जुलाई में अत्यधिक बारिश के कारण बुआई का सही समय निकल गया. किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि इस बार बोवनी की खिड़की लगभग बंद हो चुकी है, जिससे कई फसलें जैसे कि सोयाबीन, कपास, बाजरा और ज्वार की बुआई पिछले साल की तुलना में 5% से 17% तक कम हुई है.

फसल क्षेत्र में 1 फीसद की गिरावट

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल मध्य प्रदेश में कुल खरीफ फसल क्षेत्र 139.87 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले साल के 141.32 लाख हेक्टेयर से थोड़ा कम है. राज्य का सामान्य खरीफ फसल क्षेत्र 135.99 लाख हेक्टेयर होता है, जिसमें सोयाबीन, धान और मक्का की हिस्सेदारी लगभग 75% है.

फसलवार बुआई की स्थिति

  • सोयाबीन: 5% की गिरावट के साथ 51.20 लाख हेक्टेयर
  • धान (पैडी): मामूली कमी के साथ 36.20 लाख हेक्टेयर
  • मक्का: 13.1% की वृद्धि के साथ 23.50 लाख हेक्टेयर
  • उड़द: 40.3% की बड़ी वृद्धि के साथ 5.95 लाख हेक्टेयर

तेलहन फसलों में गिरावट

  • मूंगफली (ग्राउंडनट): 36.9% की गिरावट (4.03 लाख हेक्टेयर)
  • तिल (सेसमम): 31.2% की गिरावट (2.27 लाख हेक्टेयर)
  • नाइगरसीड: बढ़कर 32,000 हेक्टेयर (पिछले साल 19,000 हेक्टेयर से)

दालें और अन्य फसलों का हाल

  • अरहर (तूर): 12% की बढ़ोतरी (3.36 लाख हेक्टेयर)
  • मूंग: 22.1% की गिरावट (0.95 लाख हेक्टेयर)
  • बाजरा और ज्वार: दोनों में पिछले साल की तुलना में कमी
  • कपास: 10% की गिरावट (5.56 लाख हेक्टेयर)

फसलों का रुझान और बदलाव

किसानों ने कम कीमतों के कारण सोयाबीन से हटकर मक्का की ओर रुख किया है. उड़द जैसी कम अवधि की फसलें (90 दिनों में पकने वाली) भी अधिक बुआई क्षेत्र में आई हैं, क्योंकि बारिश के कारण मुख्य फसलों की बुआई में देरी हुई.

उत्पादन में संभावित गिरावट

किसानों और विशेषज्ञों का मानना है कि मक्का और धान को छोड़कर अन्य ज्यादातर फसलों की पैदावार में इस साल गिरावट आ सकती है, क्योंकि मौसम की मार और देरी से बुआई का असर सीधे फसल उत्पादन पर पड़ेगा.

राष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश की स्थिति (2024-25 खरीफ सीजन)

  • सोयाबीन, उड़द, नाइगर: देश में दूसरा स्थान
  • मूंगफली: तीसरा स्थान
  • ज्वार, बाजरा: चौथा स्थान
  • धान (चावल): पांचवां स्थान
  • कपास, मूंग, तूर: छठा स्थान

इस साल मध्य प्रदेश में बारिश की अनियमितता ने खरीफ फसलों की बुआई और उत्पादन पर असर डाला है. हालांकि मक्का और उड़द जैसी फसलों में सकारात्मक संकेत हैं, लेकिन सोयाबीन, तिल और कपास जैसे प्रमुख फसलों में गिरावट चिंता का विषय है. किसानों को समय पर सलाह और बाजार में उचित मूल्य मिलना बेहद ज़रूरी है ताकि नुकसान की भरपाई हो सके.

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