उत्तर प्रदेश सरकार गन्ना किसानों के हित में लगातार बड़े कदम उठा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश का पालन करते हुए दिनांक 10 सितम्बर 2025 को श्रोतृशाला, गन्ना शोध परिषद, शाहजहांपुर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई. इस बैठक की अध्यक्षता प्रदेश के गन्ना विकास और चीनी मिल के मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने की. इसमें सहकारी गन्ना समितियों के अध्यक्ष, चीनी मिल समितियों के उपाध्यक्ष, गन्ना विकास विभाग के अधिकारी, सांसद, वैज्ञानिक व अन्य संबंधित जन उपस्थित रहे.
गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश ने गन्ना, चीनी, शीरा और एथनॉल उत्पादन में देश में पहला स्थान प्राप्त किया है. उन्होंने किसानों, समितियों के नवनिर्वाचित अध्यक्षों और उपाध्यक्षों को इस उपलब्धि पर बधाई दी. प्रदेश में लगभग 46.50 लाख गन्ना किसान हैं, जिनके परिवारों सहित यह संख्या 2.30 करोड़ तक पहुंचती है. गन्ना उद्योग लगभग 10 लाख लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है.
मंत्री ने बताया कि पिछले 8 वर्षों में ₹2,89,445 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान किया गया है, जो पिछले 22 वर्षों के 2,13,520 करोड़ से 75,925 रुपये करोड़ अधिक है.
वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में सालाना 42 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता था, जबकि अब यह बढ़कर 180 करोड़ लीटर तक पहुंच गया है. इससे तेल आयात पर निर्भरता कम हुई है.
पिछले 8 वर्षों में 6,924 करोड़ रुपये का निवेश चीनी उद्योग में हुआ है. गन्ने का प्रदेश की कुल जीडीपी में 4.19% योगदान है, जबकि गन्ना और चीनी का संयुक्त योगदान 8.45% तक है.
राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार ने बताया कि गन्ना समितियां अपने भवनों का नवीनीकरण करेंगी. साथ ही, समिति के सहयोग से स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों का भी सुदृढ़ीकरण किया जाएगा.
गन्ना विभाग ने 3000 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन कर उन्हें गन्ना सीडलिंग उत्पादन से जोड़ा है. इससे लगभग 58,000 महिलाएं हर साल 8 से 10 करोड़ सीडलिंग तैयार कर रही हैं. बरेली, बिजनौर और मुजफ्फरनगर की कई महिलाएं 10 से 15 लाख रुपए सालाना कमा रही हैं.
ड्रोन तकनीक का उपयोग कर 350 ड्रोन के माध्यम से उर्वरक और कीटनाशक का छिड़काव कराया जा रहा है, जिससे गन्ना उत्पादन और गुणवत्तता दोनों में सुधार हो रहा है.
गन्ना आयुक्त ने बताया कि समितियों को अपने लाभांश का वितरण नियमों के अनुसार करना चाहिए ताकि किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिल सके.
समितियों को बहुउद्देशीय संस्थाओं में बदलने की योजना है, जैसे जन औषधि केंद्र, पेट्रोल पंप, कुटीर उद्योग, प्रशिक्षण केंद्र इत्यादि.
इन सभी योजनाओं से किसानों की आय बढ़ेगी और समितियां अधिक सक्षम बनेंगी.
आयुक्त और निबंधक ने बताया कि सभी गन्ना समितियों में आईटी सेल की स्थापना हो चुकी है. इससे 20 साल से लंबित संतुलन पत्रों को अपडेट किया गया है. कंप्यूटर प्रशिक्षण देकर कर्मचारियों को दक्ष बनाया गया है.
अब समितियों की सामान्य निकाय को बजट स्वीकृति का अधिकार मिल गया है, जिससे निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता और भागीदारी बढ़ेगी. इस बैठक में उठाए गए निर्णयों और प्रस्तावों से यह स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की समृद्धि के लिए कृतसंकल्पित है. गन्ना उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन और किसानों के सामाजिक-आर्थिक विकास के हर पहलू पर ध्यान दिया जा रहा है.