बाढ़ की विभीषिका ही ये है कि बाढ़ आती भी तबाही लेकर है और जाते हुए भी विनाश छोड़ती है. यही वजह है कि बाढ़ के बाद अधिकतर खेत सख़्त, बंजर तो होते ही हैं, साथ ही इनमें पोषक तत्वों की भी कमी हो जाती है. ऐसे में किसानों की वर्तमान फसल तो जलभराव से खराब होती ही है, मगर अगली फसलों के लिए भी मिट्टी खराब हो जाती है. अगर किसान मिट्टी को दोबारा से उपजाऊ बनाए बिना खेत में बुवाई करेंगे तो जाहिर है फसल तो खराब होगी ही साथ में बीज भी बरबाद जाएगा. इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि खेत की मिट्टी को दोबारा से कैसे उपजाऊ बनाएं.
बाढ़ के कारण खेतों में सिल्ट यानी गाद की परत जमा हो जाती है. अगर खेत में बहुत ज्यादा जलभराव नहीं हुआ है तो सिल्ट की 2–5 सेमी पतली परत आएगी. इतनी पतली परत को गहरी जुताई और रोटावेटर की मदद से मिट्टी में मिला दें. इससे खेत में से काफी हद तक गाद खत्म हो जाती है. लेकिन अगर खेत में बाढ़ का पानी ज्यादा लंबे समय तक के लिए रह जाता है तो सिल्ट की मोटी परत जम जाती है, करीब 6 इंच या उससे ज़्यादा. खेस में से सिल्ट हटाने के लिए ट्रैक्टर, JCB मशीन या लेज़र लेवलर जैसे उपकरण का इस्तेमाल करना होगा.
जब ये हो जाए तो खेत को कुछ दिन धूप खाने के वक्त दें ताकि इसकी नमी थोड़ा और कम हो सके. इसके बाद मिट्टी की जांच कराना बेहद जरूरी है, ताकि ये पता लग सके कि खेत में किन खनिजों और मिनरल्स की कमी हो गई है. जांच के बाद मिट्टी का pH, इसकी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम और जैविक कार्बन की मात्रा की कमी मिल सके. फिर इसी हिसाब से खेत में आप इन पदार्थों का छिड़काव कर सकेंगे.
एक बार जब खेत साफ हो जाएं और ये पता लग जाए कि मिट्टी में किन तत्वों की कमी है, तो फिर बारी आती मिट्टी को जिंदा करने की. इसके लिए खेत में हरी खाद देनी चाहिए. आप मूंग, ढैंचा, सन, उर्द जैसी फसलें बोकर फिर 40–45 दिन बाद उन्हें खेत में ही पलट दें. इससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा वापस से बढ़ जाती है. इसके अलावा खेत में गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद भी 8 से 10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से डालें. मिट्टी में सूक्ष्मजीव बढ़ाना है और फसल को तुरंत पोषण देना है तो केंचुआ खाद भी डाल सकते हैं. मगर ये बड़े खेतों में करना मुमकिन नहीं है. अगर आपके पास पिछली फसल के अवशेष बचें हों तो पराली/पत्तियां भी खेत में मिला सकते हैं.
अपने खेत में राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, फॉस्फेट सॉल्युबिलाइजिंग बैक्टीरिया जैसे बायोफर्टिलाइज़र का इस्तेमाल करें. पौधों की जड़ों को मजबूती देने और पोषक तत्व अवशोषण बढ़ाने के लिए मायकोराइज़ा कवक डालें. इसके साथ ही जीवामृत, पंचगव्य, नीम घोल जैसी जैविक चीजें मिट्टी को जल्दी स्वस्थ बनाती हैं.
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