किसान विरोध प्रदर्शन के बीच ही पंजाब के किसानों के लिए एक अच्छी खबर आई है. ताजा जानकारी के तहत यहां पर गेहूं खरीद का सीजन पूरा हो चुका है और अब तक किसानों के खाते में कई हजार करोड़ रुपये पहुंच चुके हैं. पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि राज्य की मंडियों में आए 95 फीसदी गेहूं की खरीद पूरी हो चुकी है. अब तक किसानों के खातों में 17,340.40 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्य सचिव ने आगे कहा कि नियमानुसार गेहूं खरीद के 48 घंटे के अंदर किसानों को भुगतान कर दिया जाता है. पंजाब को इस सीजन में मंडियों में लगभग 132 लाख टन गेहूं की आवक की उम्मीद है, जिसमें से 100.58 लाख टन (76फीसदी) पहले ही आ चुका है. खरीद एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों और उपायुक्तों के साथ बैठक के दौरान वर्मा ने उन्हें यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि किसानों, आढ़तियों और मजदूरों को मंडियों में कोई समस्या न हो. मुख्य सचिव ने आगे कहा कि देश के अन्य हिस्सों में खाद्यान्न पहुंचाने के लिए राज्य से प्रतिदिन 27 विशेष ट्रेनें चल रही हैं.
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गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका से किसानों ने आगामी सीजन में बुआई और अपने निजी इस्तेमाल के लिए जरूरत से ज्यादा गेहूं का स्टॉक जमा कर रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल सरकार गेहूं के लिए 2,275 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दे रही है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि खुले बाजार में गेहूं की कीमतें 2,800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की उम्मीद है. पिछले रबी सीजन में, सरकार ने एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, लेकिन खुले बाजार में कीमतें 2,600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं.
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पंजाब खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के एक अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा है कि उम्मीद है कि साल के अंत तक गेहूं की कीमतें एमएसपी से 400-500 रुपये प्रति क्विंटल अधिक हो जाएंगी. पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के चांसलर एसएस गोसल के हवाले से बताया गया है कि किसान ईरान-इजरायल संघर्ष और यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से गेहूं की कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव को बेहतरी से जानते हैं. इसलिए उन्होंने फसल को रोका हुआ है.