सोयाबीन भारत की एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, जिसकी खेती कई राज्यों के किसान बड़ी मेहनत से करते हैं. लेकिन हाल ही में सोयाबीन की फसल पर स्टेम फ्लाई कीट का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जिससे फसल को भारी नुकसान होने का खतरा है. इसे देखते हुए कृषि विभाग ने किसानों के लिए विशेष एडवाइजरी जारी की है ताकि वे इस कीट से अपनी फसल को बचा सकें.
स्टेम फ्लाई कीट मुख्य रूप से सोयाबीन के पौधों के तनों में सुरंग बनाकर रहता है. यह कीट खासतौर पर अंकुरण के बाद के 10 से 30 दिनों के बीच फसल पर हमला करता है. इससे पौधे की बढ़त रुक जाती है, पत्तियां पीली होने लगती हैं और समय से पहले झड़ने लगती हैं. अगर संक्रमण ज्यादा होता है तो पौधे पूरी तरह सूख भी सकते हैं.
इस कीट की पहचान करना आसान है. तने की ऊपर की त्वचा के नीचे सफेद सुरंग दिखाई देती है, जिसमें कीट का लार्वा रहता है. पौधे की पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, और यदि तना छीलें तो अंदर सुरंगनुमा मार्ग और कीट लार्वा दिखाई देता है. संक्रमित पौधे धीमे बढ़ते हैं या मुरझा जाते हैं.
जब संक्रमण कम हो, तो किसान जैविक कीटनाशकों का उपयोग कर सकते हैं. थ्रिप्सन, डेमजेन्टि प्रपानउ जैसे जैविक विकल्प (5 ग्राम/लीटर पानी) से छिड़काव करने पर यह पर्यावरण के लिए सुरक्षित रहते हुए भी कीट नियंत्रण में मदद करते हैं.
सोयाबीन की फसल पर स्टेम फ्लाई का प्रकोप चिंता का विषय है, लेकिन सही समय पर पहचान और कृषि विभाग द्वारा सुझाए गए उपायों को अपनाकर इससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है. इसलिए किसान जागरूक रहें, फसल की नियमित निगरानी करें और उचित समय पर नियंत्रण उपाय करें.