Mango Farming: महाराष्ट्र में बढ़ी केसर आम की खेती, इस नई तकनीक से किसानों को मिला फायदा

Mango Farming: महाराष्ट्र में बढ़ी केसर आम की खेती, इस नई तकनीक से किसानों को मिला फायदा

Mango Farming: हाई डेंसिटी तकनीक और जल्दी फल देने वाली किस्म होने के कारण केसर आम की खेती अब महाराष्ट्र के कई जिलों में तेजी से फैल रही है. यह न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति सुधार रही है, बल्कि निर्यात के जरिये देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे रही है.

Mango Farming in MaharashtaMango Farming in Maharashta
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 09, 2025,
  • Updated Jun 09, 2025, 2:26 PM IST

भारत में ना सिर्फ आम की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है बल्कि यहां खपत भी लगातार बढ़ता जा रहा है. आम के प्रति लोगों की दिवांगी आज के समय में इस हद तक बढ़ गई है कि लोग अधिक पैसे देकर भी आम खरीद रहे हैं और खा रहे हैं. इसी कड़ी में महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर ज़िले में किसानों का रुझान अब केसर आम की खेती की ओर तेजी से बढ़ रहा है. 2022-23 में जहाँ सिर्फ 729 हेक्टेयर क्षेत्र में केसर आम की खेती हो रही थी, वहीं 2024-25 में यह क्षेत्रफल बढ़कर 3,470 हेक्टेयर तक पहुँच गया है. यानी पिछले दो वर्षों में यह लगभग पाँच गुना बढ़ गया है.

क्यों बढ़ रही है केसर आम की मांग?

अच्छी पैदावार और मुनाफा बना वजह, जिला कृषि अधिकारी प्रकाश देशमुख के अनुसार, केसर आम की खेती से किसानों को अच्छी उपज और मुनाफा मिल रहा है. यही कारण है कि अब ज़्यादा से ज़्यादा किसान इसकी खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं. यह आम की किस्म 4-5 साल में फल देना शुरू कर देती है, जिससे जल्दी आय शुरू हो जाती है.

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निर्यात में भी योगदान

इस क्षेत्र से पिछले साल लगभग 1,500 मीट्रिक टन केसर आम का निर्यात भी किया गया, जो इसकी गुणवत्ता और मांग को दर्शाता है. इसी कारण अब जलना और बीड ज़िलों में भी केसर आम की खेती बढ़ रही है. आपको बता दें देश-विदेश में बैठे ना सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी लोग के जुबान पर भी इसका स्वाद चढ़ गया है. जिस वजह से भारत से इन क़िस्मों के आम का निर्यात बढ़ता जा रहा है. जिसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है. आम विशेषज्ञ भगवानराव कापसे बताते हैं कि अब हाई डेंसिटी प्लांटेशन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे प्रति हेक्टेयर 580 से 622 पेड़ लगाए जा रहे हैं. पहले पेड़ 33x33 फीट की दूरी पर लगाए जाते थे, अब यह दूरी घटाकर 14x5 फीट कर दी गई है.

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उपज में हुआ बड़ा इजाफा

परंपरागत तरीके से आम की खेती में महाराष्ट्र में औसतन 3-4 टन प्रति एकड़ की पैदावार होती थी, लेकिन हाई डेंसिटी तकनीक से अब यह बढ़कर 6-14 टन प्रति एकड़ तक पहुंच रही है. इससे किसानों की आमदनी में बड़ा इजाफा हुआ है. यही कारण है कि आज के समय में किसान परंपरागत तरीके से खेती ना करते हुए नए और उन्नत तकनीकों को अपना रहे हैं. इससे ना सिर्फ किसानों का समय बचता है बल्कि पैसों कि भी बचत होती है.

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