रबी सीजन में मक्का बुवाई के लिए ICAR ने बताई ये वैराइटी, कम लगेगा पानी और 143 दिन में तैयार हो जाएगी फसल

रबी सीजन में मक्का बुवाई के लिए ICAR ने बताई ये वैराइटी, कम लगेगा पानी और 143 दिन में तैयार हो जाएगी फसल

देश के कई राज्यों में किसान बड़े पैमाने पर मक्के की खेती करते हैं. वहीं, रबी सीजन की शुरूआत होने वाली है. ऐसे में जो किसान रबी सीजन में मक्के की खेती करना चाहते हैं. उन किसानों के लिए मक्के की एक खास वैरायटी आई है. इस किस्म की खेती कम पानी में भी आसानी से की जा सकती है.

मक्के की खेतीमक्के की खेती
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Sep 19, 2024,
  • Updated Sep 19, 2024, 7:58 PM IST

बदलते मौसम के इस दौर में मक्के की खेती का महत्व बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में हमारे देश में मक्के की पहचान एक नकदी फसल के रूप में की जाती है. वैसे तो मक्के की खेती पूरे साल यानी हर सीजन में की जाती है. लेकिन जो किसान मक्के की बुवाई रबी सीजन में करना चाहते हैं. उनके लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की ओर से एक खास किस्म ईजाद की गई है, जो कम पानी में भी बंपर उपज देती है. इस किस्म का नाम फील्ड कॉर्न IMH 227 है. आइए जानते हैं इस किस्म की खासियत.

जानिए किस्म की खासियत

मक्के की फील्ड कॉर्न IMH 227 कम पानी में बोई जाने वाली किस्म है. इस किस्म से किसानों को 110  क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मिल सकती है. वहीं, इस किस्म को तैयार होने में 143-150 दिन का समय लगता है. ये किस्म फॉल आर्मीवर्म, मेडिस लीफ ब्लाइट, चारकोल रॉट और टर्सिकम लीफ ब्लाइट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में करने की सलाह दी जाती है.

मक्के की कब करें खेती

1. खरीफ सीजन: जून से जुलाई के बीच ज्यादातर राज्यों में जहां सिंचाई की सुविधा है, वहां इस समय मक्का की बुवाई की जाती है. पहाड़ी और कम तापमान वाले इलाकों में मक्के की बुवाई मई के आखिर से जून की शुरुआत में की जा सकती है.
2. रबी सीजन: इस सीजन में मक्के की खेती अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है.
3. जायद सीजन: फरवरी से मार्च के बीच जायद मक्के की बुवाई की जाती है. ध्यान रहे कि फरवरी के आखिर से मध्य मार्च के बीच कर लेनी चाहिए.

खेती के लिए जरूरी बातें

1. मक्के की बुवाई करते समय बीज को मेड़ के किनारे और ऊपर 3-5 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए.
2. बुवाई के एक महीने बाद मिट्टी चढ़ाना चाहिए.
3. बीज को बोने से पहले उसे फफूदीनाशक दवा से उपचारित करना चाहिए.
4. मक्के की बुवाई करते समय पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखना जरूरी होता है.
5. जब मक्के की फसल लगभग 15 दिनों की हो जाए और बारिश न हो, तो उसमें सिंचाई करनी चाहिए.

इस विधि से करें खेती

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक रबी सीजन में किसान खेत की तैयारी सितंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू कर देनी चाहिए. वहीं, खेती की जुताई से खरपतवार, कीट पतंगें और बीमारियों की रोकथाम में काफी सहायता मिलती है.  खेत की नमी को बनाए रखने के लिए कम से कम समय में जुताई करके तुरंत पाटा लगाना फायदेमंद रहता है. जुताई का मुख्य उद्देश्य मिट्टी को भुरभुरी बनाना है. अगर किसान नवीनतम जुताई तकनीक जैसे शून्य जुताई का उपयोग न कर रहे हों तो कल्टीवेटर और डिस्क हैरो से लगातार जुताई करके खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लें.  उसके बाद बीज की बुवाई कर दें.

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