बिहार में मक्के की खेती प्रमुखता से होती है. जहां खरीफ सीजन में किसान बड़े पैमाने पर मक्के की खेती करते हैं. लेकिन, अब कृषि वैज्ञानिक रबी सीजन में भी किसानों को मक्के की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिसे मुनाफे की गांरटी बताया जा रहा है. असल में मक्के की मांग बहुत ज्यादा है, मक्के का आटा, कॉर्नफ्लेक्स, पॉपकॉर्न, बेबीकॉर्न औरस्वीटकॉर्न जैसी चीजें आज हर दूसरे घर में इस्तेमाल हो रही हैं. वहीं दूसरी तरफ कुक्कट पालन व एथनाल उत्पादन सहित विविध क्षेत्रों में मक्का का इस्तेमाल होने से न केवल भारत में बल्कि विश्व में भी मक्का की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खरीफ और रबी सीजन में मक्का की खेती की जाय तो धान और गेहूं की तुलना में किसान बेहतर मुनाफा कमा सकते है.
कृषि विज्ञान केंद्र रोहतास के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक रमाकांत सिंह कहते हैं, बिहार में मक्का की खेती के लिए बहुत उपयुक्त है, मक्का की बढ़ती मांग को देखते हुए बिहार में बड़े पैमाने पर मक्का की खेती की जाती है. मक्का उत्पादन के मामले में बिहार अग्रणी राज्यों में है, लेकिन रोहतास, कैमूर समेत कई जिलों में इसे बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि धान और गेहूं दोनों मुख्य फसलों की तुलना में पानी और लागत बहुत कम है, वहीं उत्पादन ज्यादा है, जिससे किसानों के लिए फायदेमंद है.
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भारत में, मक्के की खेती पूरे साल की जाती है और यह मुख्य रूप से खरीफ की फसल है, जिसके तहत मौसम के दौरान 85 फीसदी खेती की जाती है.रबी मक्के की खेती 15 फीसदी ही की जाती है. जबकि रबी सीजन की मक्के फसल की उपज खरीफ की तुलना में ज्यादा है. कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ रामाकांत सिंह कहते हैं कि बिहार के अधिकतर किसान धान, गेहूं की खेती के अलावा दूसरी फसलों की खेती नही करते हैं, लेकिन अगर किसान धान और गेहूं की जगह मक्का की खेती करते तो ज्यादा लाभ मिलता है.
उन्होंने कहा कि अगर किसान रबी सीजन में गेहूं की जगह मक्का की खेती करते हैं, तो जहां किसानों को गेहूं का उत्पादन प्रति एकड़ 8 से 12 क्विंटल से ज्यादा नही मिलता है, वहीं मक्का उत्पादन 30 से 40 क्विंटल तक प्रति एकड़ आसानी से मिल जाता है. वहीं जहां गेहूं के प्रति एकड़ 18 से 20 हजार रुपये की बचत है, जबकि मक्का की खेती में 40 हजार रुपए प्रति एकड़ की बचत है. क्योकि मक्का और गेहूं का दाम भी करीब आसपास है. जहां गेहूं 2200 रुपए प्रति क्विंटल है. वहीं मक्का का भाव भी इसी के आसपास है, लेकिन रोहतास, कैमूर सहित के बिहार कई जिलो के किसान रबी सीजन के मक्के खेती पर ज्यादा ध्यान नही देते. उन्होंने उदारण देते हुए कहा कि रोहतास जैसे जिले में खरीफ सीजन 5 से 6 प्रतिशत जमीन में मक्का की खेती होती है. जबकि रबी सीजन में यहां के किसान गेहूं, चना और सरसों की खेती के अलावा कुछ नहीं करते हैं.
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डॉ. रमाकांत सिंह का कहना है कि रोहतास जिले में जलवायु अनुकूल कृषि के तहत रबी सीजन में गेहूं की खेती के साथ मक्का की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. अगर कोई किसान रबी सीजन में मक्का की खेती करना चाहता है. तो उठी क्यारी विधि से खेती करनी चाहिए. अगर किसान इस पद्ति से एक हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में खेती करता है. उसके लिए लाइन से लाइन की दूरी 75 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. इसकी खेती अक्टूबर के अंत से नवंबर के मध्य तक करनी चाहिए. नहीं, तो फिर आगे जनवरी में किया जाना चाहिए. इसके अलावा किसान खरीफ में मक्का की खेती सहफसली रूप में अरहर और मक्का या फिर एकल फसल के रूप में मक्का की खेती करके बेहतर लाभ ले सकता है.
कृषि वैज्ञानिक ने सुझाव देते हुए कि मक्का में एफ-1 बीज का ही प्रयोग करना चाहिए. बीज बोने की गहराई 4 से 5 सेमी होनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि रोहतास केवीके के शोध से पता चला है कि रबी सीजन में भी मक्का की खेती की जा सकती है. कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि किसानों को संदेह है कि ठंड में मक्का की फसल नहीं बढ़ती है, उन्होंने कहा कि अगर मक्का की फसल के दौरान तापमान 4 डिग्री से कम और 42 डिग्री से अधिक हो तो उस समय मक्का की फसल प्रभावित होती है.